Thursday, February 9, 2023

चैटजीपीटी का जन्म कैसे हुआ

चैटजीपीटी का जो हंगामा हो रहा है आजकल इसकी बुनियाद अनुवाद पर है। बहुत सालों से मशीन द्वारा अनुवाद की दुनिया में प्रयास हो रहे थे कि कैसे इसे बेहतर बनाया जाए। उसी चक्कर में चैटजीपीटी का जन्म हो गया। 


वो कैसे?


वो ऐसे कि अनुवाद करने के लिए सिर्फ़ शब्दकोश ही काफ़ी नहीं होता। यह कौन लिख रहा है (लेखक, कवि, कलाकार, नेता), यह क्या है (भाषण, कहानी, कविता, उपन्यास, आत्मकथा, पटकथा, नाटक, कॉन्ट्रैक्ट, घोषणापत्र), इसे कैसे प्रस्तुत किया जा रहा है (पाठ्यपुस्तक, पत्रिका, समाचारपत्र), कहाँ लिखा गया आदि। यह सब जानना ज़रूरी हो जाता है। तब जाकर अनुवाद एक अच्छा अनुवाद होता है। 


इतना सब करने के बाद मशीन अनुवाद इस चरण तक पहुँच गया कि वह कहानी का सार बता सके। कि एक गरीब लड़का मेहनत से न कमा सका तो ग़लत तरीक़े अपनाने लगा। पैसा तो कमा लिया लेकिन अपना सुख-चैन गँवा दिया। साथ में माँ भी छोड़ गई। 


300 पन्ने के उपन्यास का सार 30 शब्द में। 


कल माइक्रोसॉफ़्ट के सीईओ सत्या ने बताया कि उन्होंने जो पहला काम चैटजीपीटी को सौंपा था वह था रूमी की कविता का उर्दू अनुवाद रोमन लिपि में। और तभी उन्होंने निर्णय लिया कि यह प्रोडक्ट जनता के लिए उपयोगी साबित होगा। 


यानी अनुवाद और कविता की दुनिया की पहुँच बहुत दूर तक की है। हम यूँही काग़ज़ काले नहीं कर रहे हैं। हम समाज के विकास में अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं। 


राहुल उपाध्याय । 9 फ़रवरी 2023 । सिएटल 

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