Wednesday, June 1, 2022

सरकारी नौकरी

इस वर्ष की यूपीएससी परीक्षा के परिणाम आ चुके हैं। 5,08,619 प्रत्याशियों में से 685 सफल हुए हैं। 


यह कविता उन 5,07,934 की दशा बयान कर रही है जो सफल न हो सकें। इसके रचयिता का नाम मुझे नहीं मिला। 


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भाईसाब 

भारत देश में पार्ले-जी के बाद 

जो इज़्ज़त कमाई है ना

वो सरकारी नौकरी ने कमाई है

आईफ़ोन तो ओवर-रेटेड है जी

एक किडनी में आ जाता है


सरकारी नौकरी?

यहाँ, दिल पर, अटैक करता है 

गली का हर दूसरा लड़का

अपनी जवानी झोंक रहा है 

अपनी-अपनी वजह है 

किसी को इंतक़ाम पूरा करना है 

किसी को इज़्ज़त चाहिए 

तो किसी को चाहिए रिंकी


और भाईसाब इतनी तैयारी 

ओलम्पिक का करते ना

तो ख़ुदा क़सम डायमंड ले आते

डायमंड होता नहीं है

डायमंड तैयारी देख कर देते 


और 

आज से नहीं 

बचपन से

पैदा हुए तो पिताजी बोले

वाह! सरकारी नौकर हुआ है

नर्स ने शगुन माँगा तो बोले

लंच के बाद आना

हम बचपन में खिलौना माँगे तो

हमको ल्यूसेंट पकड़ा दिए

दादी को कहानी सुनाने को बोलें तो

मोहनजोदड़ो-हड़प्पा के क़िस्से सुना दिए


भाईसाब 

तीन दोस्त 

तीनों गर्लफ़्रेंड लिए घूमते थे

हम गर्लफ़्रेंड नहीं बनाए

सोचते थे

सरकारी नौकरी लग जाएगी तो

तीनों में से एक का गर्लफ़्रेंड पटाएँगे 

तीनों घर बसा लिए

और हमारा तैयारी चल रहा है 


भाईसाब 

बेरोज़गार लड़के का 

और उसके बाप का रिश्ता ना

टोनी कक्कड़ और संगीत 

जैसा होता है 

कंगना और लॉजिक 

जैसा होता है 

कमज़ोर


कभी-कभी लगता है 

ज़िन्दगी 

ज़िन्दगी नहीं 

क्रिकेट हो गई है

हम गेंद फेंक रहे हैं 

सरकार लप्पा घुमा रही है 

और पिताजी कह रहे हैं 

ठोको, भई ठोको, भई ठोको 


भाईसाब 

बेरोज़गार लड़कों के घर में ना

सब्ज़ी नहीं बनती है 

तानों से रोटी खाते हैं

पर लगे हुए हैं 

कहते हैं कि 

सब्र का फल मीठा होता है 

हमको फीका चलेगा भाई

हमको कोई ज़रूरत नहीं है मीठे की

हमको बस फल चाहिए 


पर करेंगे 

इंतक़ाम तो पूरा करेंगे 

क्या है कहते हैं ना

जब तक तोड़ेंगे नहीं 

तब तक नहीं छोड़ेंगे 


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