खबर है कि भावेश परिवार समस्त सम्पत्ति दान कर दीक्षा ले रहा है।
ध्यान दें। खबर यह नहीं है कि कोई दीक्षा ले रहा है। खबर यह भी नहीं है कि कोई दो हज़ार रूपये दान दे कर दीक्षा ले रहा है। खबर है कि करोड़ों की सम्पत्ति दान की जा रही है।
मान लीजिए कि हर कोई दान दे कर दीक्षा ले रहा है। तो फिर दान लेगा कौन? भिक्षा देगा कौन?
इन दीक्षार्थियों और भिक्षार्थियों के जीवनयापन के लिए उस समाज का होना ज़रूरी है जिसमें धनोपार्जन को प्राथमिकता दी जाती हो।
स्वयं को कभी हेय दृष्टि से न देखें। मोह-माया अच्छी बात है। धन सब-कुछ नहीं। पर धन बहुत-कुछ है।
आप हैं तो जहान है।
बाक़ी तो जैसे कहते हैं ना बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-छोटी घटनाएँ होती रहती हैं।
राहुल उपाध्याय । 15 अप्रैल 2024 । सिएटल