Monday, April 15, 2024

दीक्षा

खबर है कि भावेश परिवार समस्त सम्पत्ति दान कर दीक्षा ले रहा है। 


ध्यान दें। खबर यह नहीं है कि कोई दीक्षा ले रहा है। खबर यह भी नहीं है कि कोई दो हज़ार रूपये दान दे कर दीक्षा ले रहा है। खबर है कि करोड़ों की सम्पत्ति दान की जा रही है। 


मान लीजिए कि हर कोई दान दे कर दीक्षा ले रहा है। तो फिर दान लेगा कौन? भिक्षा देगा कौन?


इन दीक्षार्थियों और भिक्षार्थियों के जीवनयापन के लिए उस समाज का होना ज़रूरी है जिसमें धनोपार्जन को प्राथमिकता दी जाती हो।


स्वयं को कभी हेय दृष्टि से न देखें। मोह-माया अच्छी बात है। धन सब-कुछ नहीं। पर धन बहुत-कुछ है। 


आप हैं तो जहान है। 


बाक़ी तो जैसे कहते हैं ना बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-छोटी घटनाएँ होती रहती हैं। 



https://www.thelallantop.com/amp/news/post/gujarat-businessman-bhavesh-bhandari-wife-donate-rs-200-crore-wealth-to-become-jain-monks/


राहुल उपाध्याय । 15 अप्रैल 2024 । सिएटल 


Sunday, April 14, 2024

अमरसिंह चमकीला- एक समीक्षा

अमरसिंह चमकीला की असली कहानी क्या है, मैं नहीं जानता। मुझे उसे जानने में समय भी नहीं लगाना है। मैंने यह फ़िल्म इसलिए देखी कि यह इम्तियाज़ अली द्वारा निर्देशित है। यह उनकी फ़िल्म है। 


जैसा कि सुभाष घई के साथ हुआ वैसा बाक़ी के साथ भी हो सकता है। और वही इम्तियाज़ के साथ हो रहा है। जब वी मेट वाली पकड़ छूटती जा रही है। 


मूल कहानी में दम नहीं है। इसलिए एक सूत्रधार का सहारा लिया गया कथानक बढ़ाने के लिए। लेकिन वह सूत्रधार ऐसा है कि दर्शक ठगा महसूस करते हैं। 


सब कुछ नाटकीय है। द्वंद्व बहुत कम है। किरदार से दर्शक जुड़ नहीं पाते हैं। 


जब वह अश्लील गाने गाने छोड़ देता है, तब थोड़ी जान आई फिल्म में। और फिर पटरी से फिसल गई। 


एक कलाकार की मनोभावना को मैं कुछ हद तक समझ सकता हूँ और उसका सम्मान भी करता हूँ। जो चमकीला ने कलाकार की हैसियत से किया उसका कुछ हद तक मैं समर्थन भी करता हूँ। लेकिन फ़िल्म का नहीं। इसे बेहतर बनाया जा सकता था। 


राहुल उपाध्याय । 14 अप्रैल 2024 । सिएटल