Thursday, February 29, 2024

भ्रूण हत्या?

अमेरिका के एक राज्य अलाबामा की सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन विट्रो फर्टिलिजेशन (आई वी एफ) के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।


एक दम्पती 2016 में आई वी एफ के जरिए माँ बाप बन गए।  इस प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से अंडे निकाल कर पुरुष के शुक्राणु के साथ लैब में फर्टिलाइज किए गए। फर्टिलाइज होने के बाद तैयार हुए भ्रूण में से एक को महिला के गर्भाशय में डाल दिया गया और बाक़ी फ्रीज़ कर दिए गए। ताकि यदि पहला भ्रूण असफल हो तो दूसरा इस्तेमाल किया जा सके। और दूसरा भी असफल रहा तो तीसरा आदि। इस दम्पती के मामले में बाक़ी की आवश्यकता नहीं पड़ी। लेकिन वे चाहते थे कि शायद बाद में एक और संतान करने का मन हो तो इन भ्रूणों को अनिश्चितकाल तक सहेज कर रखा जाए। 


2020 में एक कर्मचारी ने फ्रीज खोला और बिना दस्ताने पहने इन सहेजे गए भ्रूणों की ट्रे को बाहर निकालने की गलती कर दी। ट्रे इतनी ठंडी थी कि कर्मचारी की उँगलियाँ चिपक कर जल गईं और ट्रे गिर कर चकनाचूर हो गई। भ्रूण नष्ट हो गए। 


दम्पती ने स्टोरेज फ़ैसिलिटी के ख़िलाफ़ भ्रूणों की दोषपूर्ण हत्या का मुक़दमा दायर कर दिया। निचली कोर्ट ने निर्णय दिया कि भ्रूण बच्चे नहीं हैं कि हत्या का सवाल ही पैदा हो। 


सुप्रीम कोर्ट में अपील हुंई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि सारे भ्रूण बच्चे माने जाए। 


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अब बाक़ी क्लिनिक दहशत में हैं। उन्हें डर हैं कि इतने सारे भ्रूण जो रखे हैं उनको लेकर भी कल कोई मामला खड़ा हो सकता है। इसलिए उन्होंने आई वी एफ प्रक्रिया ही बंद कर दी है। 


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खर्चे के चक्कर में माँ-बाप एक साथ कई भ्रूण फर्टिलाइज करवा लेते हैं। यदि हर भ्रूण को बच्चा माना जा रहा है तो एक बार में एक ही भ्रूण फर्टिलाइज किया जाना चाहिए। चाहे कितना ही खर्चा बढ़ जाए। 


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यदि पति-पत्नी यह सोचते हैं कि भविष्य में उनके शुक्राणु उतने सक्षम न हो कि भ्रूण फर्टिलाइज हो सके तो इसे प्रकृति का सिद्धांत मान लेना चाहिए। जब फर्टिलाइज हो सके तभी गर्भ धारण किया जाना चाहिए। न कि कई साल बाद। 



राहुल उपाध्याय । 29 फ़रवरी 2024 । सिएटल