Saturday, May 14, 2016

रामचरितमानस की प्रतियाँ हर माध्यम में उपलब्ध हैं


रामचरितमानस के नवाह्नपारायण मैंने पिछली नवरात्रि में पूरे किए और कुछ दोहों की प्रस्तुति आपके सम्मुख रखी थीं। 

आपमें से कईयों ने उसे सराहा। उसका श्रेय मैं आपके स्नेह एवं प्रभु के आशीर्वाद को देता हूँ। 

रामचरितमानस की प्रतियाँ हर माध्यम में उपलब्ध हैं। आप जैसे चाहें, जब चाहें उसे पढ़ सकते हैं। पुस्तक के रूप में पढ़नी हो तो गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित प्रचलित है। यह कई छोटे बड़े आकार में मिलती है। मूल रचना गोस्वामी तुलसीदास जी की अवधि में है, कहीं-कहीं संस्कृत के पद भी हैं। पूरे रामचरितमानस की लिपि देवनागरी ही है। अर्थात यदि आप हिंदी पढ़ सकते हैं तो तुलसीदास जी की मूल रचना का भी आनन्द ले सकते हैं। 

अवधि भाषा समझ न आए तो उसका अनुवाद/भावार्थ भी गीताप्रेस की पुस्तकों में हैं। हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं में। कुछ को भ्रांति थी कि भावार्थ मेरे थे। नहीं। भावार्थ गीताप्रेस की पुस्तक से लिए थे मैंने। केवल उनकी प्रस्तुति और टिप्पणियाँ मेरी थीं। 

गीताप्रेस की पुस्तकें अन्तर्जाल पर भी सहज उपलब्ध हैं:
    1. Text only: https://ramayan.wordpress.com

    2. Text with Hindi translation: http://hindi.webdunia.com/religion/religion/hindu/ramcharitmanas/

    3. PDF with English translation: http://cincinnatitemple.com/articles/Sri-Ram-Charit-Manas-Hindi-Text-Eng-Translation.pdf

    4. Text with audio: http://rahul-upadhyaya.blogspot.com/2016/04/complete-ramcharitamanas-agyat-sanyasi.html


सद्भाव सहित,
राहुल