Sunday, December 27, 2020

27 दिसम्बर 2020

आज का रविवारीय भ्रमण एक बार फिर समामिश पुस्तकालय से आरम्भ हुआ। लेकिन इस बार पाईन झील की ओर निकले। 


सिएटल क्षेत्र में कई झीलें हैं। झील के किनारे उद्यान हैं। और चारों और बसें महँगे घर हैं। महँगे इसलिए कि पानी के पास हैं, पानी दिखता है, या पानी में नाव उतार सकते हैं। पानी, पहाड़ और शहर की स्काईलाइन जिस घर से दिखाई दे जाए उसके दाम बढ़ ही जाते हैं। 


पिछले हफ़्ते की तरह आज भी सुबह सात बजे अंधेरा था सो क्रिसमस की रोशनी की एक तस्वीर आ गई। 


पुस्तकालय के सामने ही सार्वजनिक हाई स्कूल है। इस हाई स्कूल की फुटबॉल टीम (सॉकर नहीं) राज्य की सबसे बेहतरीन टीम है। एक बार इनका मुक़ाबला केलिफोर्निया राज्य की एक बेहतरीन टीम के साथ हुआ। इसी स्कूल के मैदान में। उस टीम में हॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता विल स्मिथ के बेटे थे। ज़ाहिर है विल स्मिथ भी आए। उस मैच की टिकट मिलना नामुमकिन हो गया था। जी हाँ, यहाँ अच्छे हाई स्कूल की टीम के मैच देखने के लिए टिकट ख़रीदनी पड़ती है। जब मैं 2005 में इस इलाक़े में रहने आया तब ऐसा नहीं था। तब तो रस्ते चलते खेल देख सकते थे। अब बक़ायदा छतदार बैठने की व्यवस्था है और बाहर से कुछ नहीं दिखता। टिकट ख़रीद कर अंदर जाने के बाद यदि आप कुछ कार में भूल गए और स्टेडियम से बाहर निकल गए तो दोबारा टिकट ख़रीदे बिना वापस अंदर नहीं जा सकते। 


2005 में पूरे सिएटल क्षेत्र में तीन मंदिर थे। और सबसे बड़ा और लोकप्रिय इस्कॉन का मंदिर था। मंदिर नहीं, एक पुराना घर था। धीरे-धीरे धन राशि एकत्रित कर के इसे यह रूप दिया गया जो तस्वीर में दिखाई दे रहा है।   भगवान दूसरी मंज़िल पर हैं। भोजन पहली मंज़िल पर। कई भक्तगण पेट पूजा कर के ही खिसक लेते हैं। 


पार्किंग की बहुत समस्या है। कुल चालीस कार पार्क हो सकतीं हैं। बाक़ी को पास के चर्च में पार्क कर पैदल आना पड़ता है। मम्मी चल नहीं सकतीं। सो उनके लिए दुष्कर है यहाँ आना किसी ख़ास दिन। जब सुनसान हो तब ठीक। 


आज सिएटल क्षेत्र में 16 मंदिर हैं। सब की अपनी छवि है। कोई उत्तर भारतीय माना जाता है, कोई दक्षिण भारतीय। (जैसे कोई रेस्टोरेंट हो। इडली खाना हो तो यहाँ जाओ। भटूरे के लिए वहाँ।) कहीं सिर्फ साईं बाबा है। कहीं सिर्फ हनुमान जी। और कहीं वन स्टॉप शॉप। छोटे ही सही, पर हर देवी देवता मिल जाएँगे। शनि महाराज भी मिल जाएँगे। जहाँ बक़ायदा सरसों का तेल और उड़द दाल चड़ाने की व्यवस्था है। 


कहीं हर मंगलवार सुंदरकाण्ड का पाठ होता है। कहीं सोमवार को रूद्राभिषक। कहीं गुरूवार को साईं बाबा की सेज आरती। कई श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। भरपेट प्रसाद मिलता है। 


अमेरिका में हर भारतीय खाते-पीते घर का है। लेकिन मन्दिर के प्रसाद से पेट भर कर ही घर जाता है। 


हर मन्दिर में बड़ा सा रसोईघर है। और प्रसाद खाने के लिए बढ़िया हॉल। कुर्सी, टेबल, चम्मच, प्लेट, नैपकिन से सुसज्जित। प्रसाद में दाल, रोटी, सब्जी, छोले, खिचड़ी आदि होते हैं। 


राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2020 । सिएटल 



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