मैं अपना हर जन्मदिन 2007 में लिखी कविता 'जन्म' भेजकर शुरू करता हूँ।
इस बार नहीं कर पाया। बड़ी सुबह ही से फ़ोन आने शुरू हो गए।
इस बार 26 को गुरूवार था, नवम्बर का अंतिम गुरूवार। यानी धन्यवाद ज्ञापन दिवस। यानी चार दिन के अवकाश का पहला दिन।
25 को देवोत्थानी एकादशी थी। सो उस दिन भी जन्मदिन था। एक मित्र उस शाम आ गए थे। बहुत स्वादिष्ट व्यंजन लेकर।
कोई और काल होता तो 26 को दावत रखता। दोस्तों को बुलाता। कोरोना के कारण हिदायत थी कि कोई ऐसे आयोजन न किए जाए।
इस वर्ष 14 परिवार को आमंत्रित करने की योजना थी। न बुला सका तो सोचा क्यों न मैं ही उनसे मिल आऊँ और उनकी शुभकामनाएँ एवं आशीर्वाद लेता आऊँ। धन्यवाद देकर धन्यवाद ज्ञापन दिवस भी सार्थक कर दूँ।
आजकल यहाँ की भारतीय दुकानें रतलामी सेव रखने लगी हैं। हल्दीराम से लेकर बंसीराम तक। सब ब्रांड की। मैंने 14 पैकेट उठाए और चल पड़ा सबसे मिलने।
किसी को कोई सूचना नहीं दी। सबके यहाँ बिन बताए टपक पड़ा। बहुत आनन्द आया। एक यादगार जन्मदिवस महोत्सव। चारों दिन ख़ुशी से भरपूर रहे।
इस वर्ष कुछ चित्र एकत्रित किए। एपल ने स्वयं वीडियो बना दिया। अच्छा लगा। सो साझा कर रहा हूँ।
राहुल उपाध्याय । 2 दिसम्बर 2020 । सिएटल
'जन्म' कविता यहाँ पढ़ी जा सकती है:
https://mere--words.blogspot.com/2007/11/blog-post_26.html?m=1
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