Thursday, April 1, 2021

जयदेव की आवाज़ में

https://youtu.be/MKR2FrPEqhw 


मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया


देव आनन्द की फिल्म 'हम दोनों' के सारे गीत अमर हैं। साहिर के शब्द और जयदेव की धुनों का वह जादू है कि ये आज भी तरोताज़ा लगते हैं। 


इस ग़ज़ल की बहर, रदीफ, क़ाफ़िया इतने कमाल की है कि हर शेर का अपना आनन्द है। साहिर ने दो-चार अशआर और जोड़े थे जो फिल्म में नहीं हैं। 


वो रफ़्ता-रफ़्ता जाम पिलाते चले गए

मैं रफ़्ता-रफ़्ता होश में आता चला गया


नक़्श-ओ-निगार-ए-ज़िश्त बनाने का शौक था 

नक़्श-ओ-निगार-ए-ज़िश्त बनाता चला गया


दुनिया मेरी ख़ुशी को बहुत घूरती रही

मैं ज़िन्दगी का गीत सुनाता चला गया


मैं गर्दिशों से जाम लड़ाता चला गया

हँसता-हँसाता-पीता-पिलाता चला गया


इन अतिरिक्त अशआर को जयदेव की आवाज़ में यहाँ सुनें। 


कुछ लोग कहते हैं ये साहिर की आवाज़ है। यह साहिर की आवाज़ नहीं है। मैंने उनकी नज़्म - चलो एक बार फिर से - साहिर की आवाज़ में सुनी है। यह आवाज़ वो आवाज़ नहीं है। 


राहुल उपाध्याय । 1 अप्रैल 2021 । सिएटल 

—-

ज़िश्त = जीवन

निगार = सुन्दर 






No comments: