आज, 15 अप्रैल, के दिन हसरत जयपुरी का जन्म 1922 में जयपुर में इक़बाल हुसैन के नाम से हुआ था। उनके गीतों से हिन्दी फ़िल्मों के प्रेमी सुपरिचित हैं।
आज मुझे 13 वर्ष पूर्व लिखा यह प्रतिगीत याद आ गया।
तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
जब कभी भी पढ़ोगे कविताएँ मेरी
सच देख कर तुम बिलबिलाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
वो एन-आर-आई, वो ईश्वर की बातें
जिनमें कोसे थे रिसते रिश्ते नाते
उन कविताओं की याद आएगी
जब ख़्यालों में मुझको लाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
मैं कविताओं में तुमको लिखता था
जब भी तुमको मनाना होता था
और सहारा लेता था प्रतिगीत का
वो नगमे किस तरह भुलाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
मुझको पढ़े बिना क़रार न था
एक ऐसा भी दौर गुज़रा है
झूठ मानो तो देख लो आँकड़े
मैं कहूंगा तो रूठ जाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
राहुल उपाध्याय । 2 सितम्बर 2008 । सिएटल
(हसरत जयपुरी से क्षमायाचना सहित)
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राहुल उपाध्याय । 15 अप्रैल 2021 । सिएटल
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