Tuesday, April 20, 2021

कृष्णा

बाऊजी के एक भाई और दो बहनें थीं। काकासाब 25 अक्टूबर 2020 को गुज़रे। छोटी बुआ लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली में बाऊजी के घर गुज़रीं। बड़ी बुआ चार साल पहले सैलाना में गुज़री। 


बड़ी बुआ, मम्मी और मामासाब- इन तीनों की शादी एक ही दिन हुई थी। 5/5/55। 


बड़ी बुआ की चार बेटियाँ हैं। कृष्णा, देवकन्या, सीमा और अन्नपूर्णा। 


मेरा बचपन ननिहाल में गुज़रा। कक्का से लेकर चौथी तक की पढ़ाई सैलाना में दासाब (मेरे नाना) के ही घर के स्कूल में हुई। बड़ी बुआ का घर 25 कदम दूरी पर था। किसी कारणवश हमारा आना-जाना नहीं था। 


बाद में जम्मू में और रतलाम में बुआजी हमारे साथ लम्बे समय तक रहीं। लेकिन बेटियाँ सैलाना में ही रहीं। 


मेरा बेटियों से मिलना-जुलना 2015 से शुरू हुआ, जब बाऊजी के गुज़रने के बाद मम्मी ने सैलाना के ब्राह्मण समाज के एक मन्दिर का जीर्णोद्धार का बीड़ा उठा लिया। सीमा और उनके पति सत्यनारायण जी ने बहुत मदद की। तब कृष्णा भी सैलाना में थी। उसकी तीन बेटियाँ उज्जैन में पति के साथ रहती थी। आती-जाती रहती थीं। 


अगस्त 2018 में कृष्णा ने मम्मी को उज्जैन के 84 महादेव के दर्शन, पूजा और परिक्रमा करवाई। मम्मी इतनी गदगद हुईं जैसे कि जीते जी स्वर्ग हो आई हों। 


अक्टूबर 2018 में मम्मी मुझे भी ले गईं उज्जैन। मैंने कृष्णा के यहाँ दो रातें बिताईं। दाल बाटी खाई। महाकाल के दर्शन किए। ख़ूब पैदल घूमा। क्षिप्रा में कुम्भ के अवसर पर पिछली यात्रा में डुबकी लगा चुका था। 


मम्मी के अमेरिका आने के बाद भी फ़ोन से निरन्तर सम्पर्क रहा। कभी उसके फ़ोन पर तो कभी बेटियों के व्हाट्सेप पर। मम्मी की तबियत बिगड़ने के बाद भी बात करवाई थी मैंने। उसने नया घर बनवाया था। बड़े प्रेम से वीडियो कॉल पर पूरा घर दिखाया। ऊपर-नीचे, आँगन, अड़ोस-पड़ोस। बहुत खुश थी। 


15 अप्रैल को मम्मी अस्पताल से घर आई। शनिवार, 17 अप्रैल को वो मम्मी से बात करना चाहती थी। मम्मी सो गईं थीं। नहीं हो पाई। 


आज, मंगलवार, 20 अप्रैल 2021, को वो चल बसी। 


अचानक, इतनी जल्दी सब ख़त्म हो गया। अनुष्का का मेसेज आया कि मम्मी गईं। मैं समझ ही नहीं पाया कि कौन? मुझे लगा शायद अपनी सास की बात कर रही है। 


पता चला 12 घंटे के अंदर सब हो गया। आक्सीजन लगातार गिरता रहा और गुज़र गई। कोरोना नहीं था। फिर क्या हुआ?


लॉकडाऊन के कारण कोई भी बहन सैलाना या रतलाम से नहीं जा पाईं। मिलने या अंतिम संस्कार में। 


राहुल उपाध्याय । 20 अप्रैल 2021 । सिएटल 






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