Monday, March 22, 2021

ममलेश तिवारी

कुछ समय पहले मैंने एक वीडियो देखा जिसमें आलोक नाथ एक बुजुर्ग के किरदार में एक क्लब में कविता सुना रहे हैं। लगा ही नहीं कि यह किसी वस्तु का विज्ञापन है। 


क़िस्मत से इस विज्ञापन के निर्देशक और कविता के रचयिता, ममलेश तिवारी, से मेरा सम्पर्क हो गया। 


मैं उनके साथ अपनी रचनाएँ साझा करता रहता हूँ। जैसा बाक़ी के साथ करता हूँ। कभी कोई पसन्द आ जाती है तो वे टिप्पणी लिख कर बता भी देते हैं। 


आज मेरी 'यहाँ/वहाँ' वाली रचना उन्हें इतनी पसन्द आई कि उन्होंने अपने स्टेटस पर भी डाल दी। 


मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं रही। 


यह रही ममलेश की कविता जो विजय लाल ठाकुर के किरदार में आलोक नाथ सुनाते हैं:


आया हूँ आज चंद पक्तियाँ सुनाने

मेरे अकेलेपन को आप सब से मिलाने 


कविता कह नहीं सकता है इसे

मेरी कहानी समझ लो

तुकबंदी की इस कोशिश को 

एक अरसे की नादानी ही समझ लो


बहुत कमाया अपनों के लिए

आज सुकून कमाने आया हूँ 

कुछ नये दोस्त बनाने और 

दिल के राज़ सुनाने आया हूँ 

शायद बीते दिनों की वो मस्ती 

फिर से खोजने आया हूँ


चेहरे की झुर्रियाँ, हाथों में छड़ी देख

माना बूढ़ा सा लगता हूँ

हाँ थोड़ा धीरे, थोड़ा आराम से

पर चल अभी भी सकता हूँ 

डिप्रेशन तो बुड्ढों में कॉमन है

ये कह के टाल दिया करते हो 

कुछ देर समय बिता कर तो देखो

कह पड़ोगे 

दादा जी आप भी कमाल करते हो

वक़्त तेज़ी से चल पड़ा है 

इसे थोड़ा धीमे करने आया हूँ

जवानी के कुछ शौक़ 

अब बुढ़ापे में जीने आया हूँ

शायद बीते दिनों की वो मस्ती 

फिर से खोजने आया हूँ


माना,

माना कि उम्र थोड़ी बढ़ गई है

पर दिल अभी भी जवान है

ज़िम्मेदारियाँ निभाते-निभाते 

भूल गया था कि ये अब भी नादान है

पहले घुटने मेरे घुटन नहीं हुआ करते थे

बालों में कंघी हम भी फेरा करते थे

अब तो आइने के सामने जाता हूँ 

तो कोई बूढ़ा सा नौजवान नज़र आता है

यहाँ जितने आज़ाद पंछी बैठे हैं 

उन सबका बाप नज़र आता है


हाँ,

हाँ तुम्हारी तरह ऑनलाइन नहीं ऑफ़लाइन ही चल लेता हूँ

सेल्फी, फिल्टर और सोशल मीडिया के आगे भी जी लेता हूँ 

सब कुछ तो डाउनलोड कर लो तुम

बस मोहब्बत नहीं कर पाओगे 

प्यार के तीतर हमने भी उड़ाए हैं 

तुम ट्विटर की चिड़िया कैसे उड़ाओगे?


बस यही उम्मीद है तुम सबसे 

मिलेनियल मुझे भी बनाओगे

दादू, मेमे नहीं मीम कहते हैं 

तुम ये मुझे समझाओगे 


पोयम नहीं ये फ्रेंड रिक्वेस्ट है

एक्सेप्ट इसे कर लेना 

दिलों में तुम्हारे चेक-इन की कोशिश है लाइक इसे कर देना


टिंडर की तो उम्र नहीं है 

शायद इंस्टा-स्टोरी का हिस्सा बन जाऊँ 

एक फ़ोटो अपलोड कर 

पचासों हेशटैग मैं भी लगाऊँ


शायद इन लम्हों को 

फिर कभी न बयाँ कर पाऊँगा 

शायद तुम सबकी नज़रों में 

एक बार फिर जवान हो जाऊँगा


शायद ...

शायद …

शायद नहीं, ज़रूर बीते दिनों की वो मस्ती 

फिर से तुम सब के साथ ले पाऊँगा 


राहुल उपाध्याय । 22 मार्च 2021 । सिएटल 




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