अमेरिका में स्कूल बस जब रूकती है और ड्राइवर अपनी खिड़की से 'स्टॉप' साईन लटका देता है, दोनों तरफ़ का ट्रेफ़िक पूरा का पूरा रूक जाता है जब तक कि ड्राइवर वह स्टॉप साईन न हटा दे।
यह सब क्यों? ताकि कोई दुर्घटना न घटे। बस पकड़ने के चक्कर में कोई बच्चा आगे से-पीछे से, इधर से-उधर से न निकल आए और किसी वाहन की चपेट में न आ जाए।
नियम होना, और नियम का पालन करना, दोनों में बहुत अंतर है। जब सामने वाला रूक गया है, तो बाक़ी के पास कोई चारा ही नहीं है। उसे मजबूरन रूकना ही है।
सवाल है कि पहला वाहन क्यों रूका? वह इसलिए कि यहाँ ड्राइविंग के सारे नियम सख़्ती से लागू किए जाते हैं। पालन न करने पर हर्जाना बहुत महँगा पड़ता है। धनराशि तो तगड़ी देनी ही होती है, आपका ड्राइविंग लायसेंस तक ज़ब्त हो सकता है। कार का बीमा महँगा हो जाता है। कई बार बीमा हो भी नहीं पाता है।
अमेरिका में यदि कार न चला पाए तो समझिए आप आधे बेकार हैं। कहीं आने-जाने के नहीं। महानगरों में सार्वजनिक परिवहन के साधन बहुत हैं। लेकिन सिर्फ़ काम पर जाने-आने के लिए। बाक़ी वक़्त टैक्सी या उबर जो कि बहुत महँगे पड़ते हैं।
यदि अमेरिका देखना है, घूमना है, राष्ट्रीय उद्यानों का आनन्द लेना है तो ड्राइविंग सहायक है।
आज एक साल बाद स्कूल बस दिखी। स्कूल खुल गए हैं, लेकिन स्कूल जाना अनिवार्य नहीं है।
सिर्फ़ दो बच्चे ही उतरे। लेकिन इतनी गाड़ियों ने फिर भी नियम का पालन किया, और रूकीं।
चाहे कितनी ही जल्दी क्यों न हो, हर ड्राइवर लाल लाईट पर, स्टॉप साईन पर, अवश्य रूकता है। चाहे वो बिल गेट्स हो या इलॉन मस्क।
राहुल उपाध्याय । 18 मार्च 2021 । सिएटल
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