Saturday, October 31, 2020

अमेरिका में चुनाव - भाग 5

कल मैंने 38 खाने भर कर अंततोगत्वा वोट डाल ही दिया। अगले तीन दिन में शायद ही कुछ ऐसा हो कि मेरा निर्णय बदलें। 


कभी-कभी कितना अजीब लगता है कि हमें अगले पल की ख़बर नहीं और हम कितनी बड़ी योजनाएँ बना लेते हैं। अप्रैल में किसी का विवाह तय है। अगस्त में कोई एम-बी-ए आरम्भ कर रहा है। कितने दूरंदेशी हो जाते हैं कई बार। 


38 खानों में से 36 के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। कुछ खाने तो ज़बरदस्ती के थे। भरो तो ठीक, न भरो तो ठीक। क्योंकि कोई प्रतिद्वंद्वी ही नहीं है। जिसका नाम है उसकी जीत तो पक्की है। फिर किस बात का चुनाव?


कुछ सवाल ऐसे थे कि हमने किसी कार्यक्रम को बिना मतदाताओं से पूछे शुरू कर दिया है। क्या उसे चलने दें या बंद कर दें। मैंने आँख मूँद कर चुन लिया कि बंद करो। ऐसे कैसे काम चलेगा? हमसे बिना पूछे?


उपराज्यपाल की बारी आई तो चौंक गया? दोनों उम्मीदवार एक ही दल के? 


बाक़ी सब में कुछ सूझा ही नहीं कि कैसे चुनाव करूँ? दोनों के बारे में इंटरनेट खंगाला जा सकता था। लेकिन क्या वहाँ भी कोई ठोस निष्पक्ष जानकारी होगी? वही प्रचार होगा। वही छीछालेदारी होगी। 


सिक्का उछाल कर दूँ? ख़ाली छोड़ दूँ? 


यह हाल है चुनाव का। पढ़ा-लिखा तबका जब हाथ खड़े कर देता है तो बाक़ी की तो जाने ही दीजिए। 


मतपत्र भरते वक़्त यदि दाल गिर जाए या हल्दी के दाग लग जाए तो घबराने की कोई बात नहीं। आप ऑनलाइन जाकर मतपत्र भर सकते हैं। पर जमा प्रिंट कर के ही करना होगा। 


मैं इसे डाक में भी डाल सकता था। लेकिन डर था कि कहीं वक़्त पर नहीं पहुँचा तो? सो निर्धारित पेटी में डाला। मेरे जिले में कुल 73 ऐसी पेटियाँ हैं। 


ज़्यादातर नगरपालिका या सार्वजनिक पुस्तकालयों के परिसर में हैं। 


कोई सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं है। आवश्यकता भी नहीं है। हो सकता है कहीं कैमरे हों जो गतिविधियों पर नज़र रख रहे हों। मैंने वीडियो और फ़ोटो लीं। मैं जब जाने लगा तो कोई सेल्फ़ी ले रहीं थीं। मैंने कहा मेरी फ़ोटो ले सकती हो? यह कोविड के माहौल में आसान सवाल नहीं था। न पूछना आसान था, न जवाब देना। वो मुझे बीमार कर सकतीं थीं, मैं उन्हें। मैंने पूछ लिया। उन्होंने भी आसानी से हाँ कह दिया। और यह भी कहा कि मैं पहले गाड़ी से मास्क निकाल पहन आऊँ। मैं भी अपनी गाड़ी से मास्क ले आया। लेकिन पहन कर फ़ोटो लेने में कोई तुक नहीं दिखी। सो हाथ में ही रहने दिया। कैमरे का तो आदान-प्रदान हुआ बिना दस्तानों के। 


मतदान के सबूत के लिए यह था हमारा परस्पर बलिदान। 


राहुल उपाध्याय । 31 अक्टूबर 2020 । सिएटल 

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Best Regards,
Rahul
425-445-0827

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