रामचरितमानस के नवाह्नपारायण मैंने 2016 में नवरात्रि में पूरे किए और कुछ दोहों पर भावार्थ सहित टिप्पणी की थीं।
रामचरितमानस की प्रतियाँ हर माध्यम में उपलब्ध हैं। आप जैसे चाहें, जब चाहें उसे पढ़ सकते हैं। पुस्तक के रूप में पढ़नी हो तो गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित प्रचलित है। यह कई छोटे बड़े आकार में मिलती है। मूल रचना गोस्वामी तुलसीदास जी की अवधि में है, कहीं-कहीं संस्कृत के पद भी हैं। पूरे रामचरितमानस की लिपि देवनागरी ही है। अर्थात यदि आप हिंदी पढ़ सकते हैं तो तुलसीदास जी की मूल रचना का भी आनन्द ले सकते हैं।
अवधि भाषा समझ न आए तो उसका अनुवाद/भावार्थ भी गीताप्रेस की पुस्तकों में हैं। हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं में। कुछ को भ्रांति थी कि भावार्थ मेरे थे। नहीं। भावार्थ गीताप्रेस की पुस्तक से लिए थे मैंने। केवल उनकी प्रस्तुति और टिप्पणियाँ मेरी थीं।
गीताप्रेस की पुस्तकें अन्तर्जाल पर भी सहज उपलब्ध हैं:
1.:
2.हिन्दी में अनुवाद के साथ: http://hindi.webdunia.com/religion/religion/hindu/ramcharitmanas/
3. पढ़ें एवं सुनें: http://rahul-upadhyaya.blogspot.com/2016/04/complete-ramcharitamanas-agyat-sanyasi.html
राहुल उपाध्याय । 17 अक्टूबर 2020 । सिएटल
No comments:
Post a Comment