Tuesday, December 20, 2022

कलाम स्मारक

कलाम साहब रामेश्वरम में पैदा हुए थे। यह मुझे पता नहीं था। आज रामेश्वरम पहुँचते ही टूर आपरेटर कलाम स्मारक ले गया। कल गाँधी संग्रहालय और आज कलाम स्मारक। यह क्या अद्भुत संयोग है। मैं तो समझा यह घार्मिक नगरी है। मन्दिर ही मिलेंगे। 


गाँधी जी से तो कभी मिल नहीं पाया। कलाम साहब से 2009 में सिएटल में मुलाक़ात हुई थी।  वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन में व्याख्यान देने आए थे। तब सिएटल स्थित इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ वेस्टर्न वाशिंगटन ने उनके स्वागत में एक कार्यक्रम रखा था। तब मैं सेवानिवृत्ति का आनन्द ले रहा था और इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ वेस्टर्न वाशिंगटन के लिए स्वयंसेवक के रूप में बच्चों के समर कैम्प की फ़ोटोग्राफ़ी कर रहा था। मुझे भी न्यौता मिला। मैं वहाँ गया। साथ अपनी चुनिंदा कविताओं के प्रिंटआउट को एक किताब की शक्ल में ले गया था। एक रचना सुनानी भी चाही। पर अफ़सोस कि उन्हें हिन्दी नहीं आती। किताब भेंट कर दी। शायद किसी संग्रहालय में हो। 


आज एक बार फिर यह जानकर अच्छा लगा कि भारत विविधताओं का देश है। एक मुस्लिम हिन्दू तीर्थ स्थल पर पैदा होता है, क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ता है और भारत का राष्ट्रपति बन जाता है। भारत रत्न पा जाता है। 


यह भी जानकर अच्छा लगा कि स्मारक में नंगे पाँव जाना होता है। किसी प्रकार के चप्पल-जूते पहनकर नहीं जा सकते। ऐसा इसलिए कि वहाँ उनकी समाधि है।  यह जानकर और भी अच्छा लगा कि उनका शरीर राख नहीं हुआ। बड़ी अजीब अनुभूति हुई कि जिस शरीर से मैंने बात की थी उसका अवशेष आस-पास ही था। 


स्मारक में कैमरा या फ़ोन नहीं ले जा सकते हैं। बहुत ही सुन्दर परिसर है। कलाम साहब की इतनी तस्वीरें हैं, मूर्तियाँ हैं कि देखते ही रह जाओ। 


राहुल उपाध्याय । 20 दिसम्बर 2022 । रामेश्वरम 




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