Tuesday, December 20, 2022

रामेश्वरम. 21 दिसम्बर 2022

रामेश्वरम मंदिर जहाँ राम ने लिंग स्थापित किया था वहाँ शंकराचार्य द्वारा दी गई मणि भी है। जिसका दर्शन सुबह चार बजे से छ: बजे के बीच होता है।


उसके बाद 22 कुण्ड हैं जो राम ने अपने बाण से भेद कर बनाए थे। वहाँ बाल्टी से पानी खींच कर सर पर डाल लिया जाता है। इसे स्नान कहते हैं। फिर कपड़े बदल कर एक कोने में बैठकर संकल्प लिया जाता है। तत्पश्चात् दूध से लिंग का अभिषेक किया जाता है। 


कुल मिलाकर चार काम हुए - मणि दर्शन, कुण्ड स्नान, संकल्प, अभिषेक। इन सब में चार घंटे और दस हज़ार रूपये लगे हम छ: प्राणियों के। पण्डित जी कह रहे थे कि सारे काम डेढ़ लाख में भी किये जा सकते हैं। 


सब जगह खुले आम रेट लिखे हुए हैं। स्पीड दर्शन के लिए इतना। 108 कलश पूजा का इतना। आदि। 


हम एनआरआई तो पैसा फेंक तमाशा देख रहे थे। कोई भी रेट ज़्यादा नहीं लग रहा था। बल्कि दुख हुआ देख कर कि हम कितने खुश थे कि हम पैसे के दम पर कितनी जल्दी निकल आए और बाक़ी लोग न जाने कब तक इंतज़ार करते रहेंगे। 


एनआरआई भी अब विचित्र प्राणी नहीं रह गया है।  आज वह भी भारतीय समाज का एक अदद हिस्सा है। हर शहर में वह मिल जाएगा। इसी समूह की वजह से अब एयरपोर्ट और पाँच सितारा होटलों में बस स्टैंड सी भीड़ है। मन्दिर में भी हम समझे हम ही हैं पैसा फेंकने वाले। देखा तो हम जैसे वहाँ हज़ारों हैं। दो महीने पहले ग्रीस के खंडहर देख कर आए।  पिछले साल कोस्टा रिका गए थे। अगले साल के प्लान अभी से बन रहे हैं। देखना-समझना-पढ़ना-लिखना कुछ नहीं है। तमाशबीन सा तमाशा देख कर चले जाना है। फ़ोटो सोशल मीडिया पर चिपका देने हैं। कुछ के पोस्टर घर के कमरों में सजा देते हैं। 


उन्हें मन्दिरों में, पत्थरों की मूर्तियों में कोई आस्था नहीं है। दान हाथ खोलकर देते हैं। बच्चों को देश की संस्कृति से परिचित कराते हैं। आधुनिक गुरुओं के भक्त हैं। उनके शिविरों में समय बिताते हैं। उनके मुख से विश्व कल्याण की बात सुन खुश होते हैं। प्रसन्न होते हैं कि उनका दिया पैसा किसी स्कूल, अस्पताल के लिए खर्च किया जा रहा है। या उस यूट्यूब चैनल के लिए जहाँ वे बैठकर एक स्टैंडअप कॉमेडियन की तरह हँसते-हँसाते प्रवचन देते हैं। 


माथा टेकना और हाथ फैलाना उनके व्यवहार में नहीं है। आरती करना और भजन गाना तो कोसों दूर है। पूजा? यह तो करण जौहर की फिल्म का एक किरदार है। 


राहुल उपाध्याय । 21 दिसम्बर 2022 । रामेश्वरम 






No comments: