Friday, December 16, 2022

दिल्ली- 17 दिसम्बर 2022

दिक्कत एक हो तो बताऊँ भी। अब उस दिन पानी की समस्या, असुरक्षा के माहौल और हर बंधन में संतुष्टि का रोना रो ही चुका हूँ। 


परसो अपनी भतीजी से मिलने हंस राज कॉलेज गया। नामी-गिरामी कॉलेज है इसलिए दूर रतलाम से पढ़ने यहाँ आई है। पी-जी में रह रही है क्यूँकि होस्टल अभी बन रहे हैं। आई-कार्ड अभी तक बना नहीं है क्योंकि एडमिशन का चौथा राउंड चल रहा है। क्लासेज़ सारी ऑनलाइन चल रही हैं। दिल्ली में है और पी-जी का भाड़ा भर रही है और अकेले कमरे में बैठकर ऑनलाइन क्लासेज़ कर रही है। मतलब हद ही हो गई लापरवाही की। कोरोना के चक्कर में ऑनलाइन का खून क्या लग गया कि कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ता। न कोई टेक्स्ट बुक है, न कोई होमवर्क। और सत्र शुरू होते-होते नवम्बर हो गया। यह भी ख़ानापूर्ति है। जिनका एडमिशन अभी चल ही रहा है उनका क्या होगा? बस सीट पर सीट भरते जाओ और पैसे जोड़ते जाओ। 


यही हाल देश भर में है। कहीं-कहीं तो कॉलेज में उपस्थित होने की आवश्यकता भी नहीं है। सिर्फ़ परीक्षा देने पहुँच जाओ। वहाँ भी नक़ल करवाने वाले मौजूद हैं। चाहे कितने ही अच्छे से उत्तर दे दो, नम्बर सबको थोक में औसत मिलते हैं। कम पढ़ो तो नुक़सान नहीं। ज़्यादा पढ़ो तो इनाम नहीं। 


अब यह नया समाचार कि कुँवारों को मकान मालिक किराए पर नहीं रखेंगे। एक ग़लत ख़बर क्या आ गई, बात का बतंगड़ बन गया। 


एयरपोर्ट पर भीड़ इतनी है कि दो घंटे की फ़्लाइट के लिए साढ़े तीन घंटे पहुँचो वरना फ़्लाइट छूट जाएगी। सामान भी बस एक ही बैग लेकर आओ। 


विदेशी हो तो पेटीएम, यूपीआई, कुछ नहीं चलता है। क्रेडिट कार्ड अधिकांश वक्त और जगह पर नहीं चलता। कड़क नोट के बिना गुज़ारा नहीं। लोकल बैंक में खाता खुलवाना मतलब आ बैल मुझे मार वाला मामला। 


चारों तरफ़ इतना घुटन का माहौल है कि कुछ कह नहीं सकते। अच्छे-ख़ासे लोदी गार्डन में जगह-जगह लिखा है यहाँ थूकना मना है। हद ही हो गई। मेट्रो में तो नहीं लिखा है। मेट्रो इतनी साफ़-सुथरी है कि लगता ही नहीं यह दिल्ली शहर में है। चमचमाते फ़र्श। साफ़-सुथरे डब्बे। क्यों इन लोगों को यही सुविधा मेट्रो के बाहर भी मिल सकती है? जगह-जगह खुले तार हैं, गड्डे हैं, पत्थर हैं। 


राहुल उपाध्याय । 17 दिसम्बर 2022 । दिल्ली 



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