Saturday, September 26, 2020

रेडियो



1972-1973 में जब मैं मेरठ में था, पाँचवीं कक्षा में, तब दाग फ़िल्म के गीत - मेरे दिल में आज क्या है, ने दिल जीत लिया था। उसी साल अनुराग भी आई - वो क्या है - युगल गीत बहुत चला। मैं एक चोर, तू मेरी रानी। और फिर आनन्द फ़िल्म के गीतों की तो जितनी तारीफ़ की जाए कम है। 


1975 में जब मैं शिमला में था, तब कभी-कभी आई थी। इसके गीतों ने सबका मन मोह लिया था। 


1976 में जब तक कलकत्ता नहीं आया, तब तक संगीत सुनने का कोई साधन नहीं था। जो भी सुना, पड़ोसी के रेडियो से, या पान की दुकान से। 


कलकत्ता में रेडियो हाथ आ गया। जब तक जगता था, रेडियो चलता था। विविध भारती। रेडियो सीलोन। रेडियो नेपाल। 


आय-आय-टी, वाराणसी में रेडियो साथ नहीं ले जा सका। वहाँ होस्टल में बाक़ी छात्रों के कैसेट प्लेयर से जगजीत और गुलाम अली को सुना। फ़िल्म मासूम के गीत भी। 


1986 में जब सिनसिनाटी आया तो सोनी का स्टीरियो सिस्टम लिया। जिसमें दो कैसेट डेक थी। ताकि किसी के कैसेट से अपनी पसन्द का गीत रिकॉर्ड कर सकूँ। इसमें लाईन-इन की भी सुविधा थी। ताकि वी-सी-आर से भी रिकॉर्ड कर सकूँ। 


ये सारी रिकॉर्डिंग काम भी बहुत आई जब मैं हर रविवार रेडियो पर दो घण्टे का कार्यक्रम प्रस्तुत करने लगा। यह स्टेशन अनुदान से चलता था। इसलिए कोई विज्ञापन नहीं होते थे। सिर्फ़ संगीत और मेरी कुछ बातें। 


कभी-कभी श्रोताओं के फ़ोन भी आ जाते थे। बड़ा अच्छा लगता है जब किसी को आपकी पसन्द पसन्द आ जाए। 


मैं कार्यक्रम की शुरुआत हमेशा इन तीन गीतों से करता था:

https://www.youtube.com/playlist?list=PLAxLt1oyJnF8XWimfLkvXdu0hRJe2cOj4 


1971/1975 के गीत यहाँ सुने जा सकते हैं:

https://www.youtube.com/playlist?list=PLAxLt1oyJnF_hREzvzhmF_S27U9difzuP 


राहुल उपाध्याय । 26 सितम्बर 2020 । सिएटल 






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