या तो हम विद्यार्थी हैं, या महारथी। दोनों ही हालात में हमें अपनी त्रुटियों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
यदि हम इन दो छोरों के बीच के हैं, तब भी।
मतलब हर हाल में।
कई बार त्रुटियाँ अज्ञानतावश होतीं हैं। जैसे मेरी। मैं जो भी लिखता हूँ, उसे दो-चार बार ठीक से जाँचने परखने के बाद ही कहीं भेजता हूँ। मेरी त्रुटियों में टंकण का दोष कदापि नहीं है।
कई लोगों से बात करने पर पता चला कि वे किसी कारणवश देवनागरी कीबोर्ड का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए ऐसी तकनीक अपना रहे हैं जिसमें रोमन में लिखने से देवनागरी विकल्प प्रदान किए जाते हैं। यदि विकल्प पर ध्यान न दिया जाए तो जो उस तकनीक को जो ठीक लगे वह आ जाता है। और ज़्यादातर इसी वजह से कि/की की त्रुटियाँ होतीं हैं।
मेरा निवेदन हैं कि सब सदस्य सतर्क रहें ताकि उनकी पोस्ट त्रुटिहीन हो।
कि:
1. मैंने कहा कि
2. मैंने लिखा कि
3. मैंने बताया कि
4. उनसे इतना भी नहीं हुआ कि वे मेरी ख़ैरियत पूछ लेते।
5. मुझे पता चला कि
की:
अमिताभ की फ़िल्में
देश की मिट्टी
सूरज की गर्मी
दिल की बीमारी
कोरोना की दवाई
की: यहाँ तात्पर्य करी से है
उसने बात नहीं की
उसने ऐसे बात की
की और कि साथ में:
राम ने श्याम की पिटाई इसलिए की कि उसे ग़ुस्सा आ गया था और स्वयं को रोक न सका।
उसने ऐसे बात की कि मन खिन्न हो गया।
अज्ञानतावश जो त्रुटियाँ मैं करता रहा, उनकी सही वर्तनी देखिए:
पुरस्कार (मैं हमेशा पुरूस्कार लिखता रहा)
ऊपर (मैं उपर लिखता था)
है (एकवचन), हैं (बहुवचन, सम्मान)
थी (एकवचन), थीं (बहुवचन, सम्मानसूचक)
दृढ़
द्रोण
चिड़िया
चिढ़ना
पीढ़ी
पीड़ा
सीढ़ी
गाड़ी (कार)
गाढ़ी (मोटी) कमाई
गाड़ देना (गहरे घुसा देना)
चढ़ावा
चढ़ाई
दृष्टि
उद्देश्य (मैं उद्धेश्य लिखता था)
सीखा, सिखाया
खाया, खिलाया
पिया, पिलाया
दिया, दिलाया
हँसा, हँसाया
हंस (पक्षी)
हसीं (सुन्दर, हसीना)
कही (कोई बात कही)
कहीं (किसी स्थान का सूचक, कहीं दूर जब दिन ढल जाए)
कहा (कुछ कहना)
कहाँ (किस स्थान के बारे में प्रश्न)
वहीं (उसी स्थान पर)
वही (जो मैं कह रहा था वही बात आप कह रहे हैं)
यहीं (इसी स्थान पर, तुम्हारी कार की चाबी यहीं कहीं होनी चाहिए)
श्रद्धांजली
लफ़्ज़
गुणी
- बहु (कई), बहू (वधू)
- जाती और जाति —- दोनों में अंतर है
- तुझे
राहुल उपाध्याय । 7 सितम्बर 2020 । सिएटल
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