अब जब टीकाकृत लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य नहीं है, अधिकृत रूप से हमारा सामूहिक प्रात: भ्रमण पिछले रविवार से शुरू हो गया है। उस दिन भी हम सिर्फ तीन ही जुड़ पाए थे। आज फिर से शोभित और मैं ही थे। एक बार कोई आदत छूट जाए तो दोबारा पकड़ने में समय तो लगता है।
घर से तीस किलोमीटर दूर पर ही एक बहुत ही रमणीक स्थल है - स्नोक्वाल्मी प्रपात। ये यहाँ का खास आकर्षण है। यहाँ हम पहले जा चुके हैं। प्रयास रहता है कि नई जगह का आनंद लिया जाए।
सो इससे पाँच मील दूर स्नोक्वाल्मी नदी के समीप स्थित एक पार्क को चुना। नदी का पाट बहुत ही चौड़ा था। छोटी-छोटी शाखाएँ इधर-उधर बह रही थीं। कितना अजीब था यह सोचना कि इन्हें पता नहीं है कि बस थोड़ी देर और, और ये गिरेंगी धड़ाम से!
पास ही एक पुल था जो कि कहीं से आ नहीं रहा था। हाँ, जा जरूर रहा था। किधर? पता नहीं। चलने लगा तो पता लगा यह एक गोल्फ कोर्स की ओर जा रहा है। बहुत ही सुहावना मौसम था और हरियाली, नदी और साई पर्वत मन मोह रहे थे।
पुल तक का रास्ता चलने लायक नहीं था सो कार से गए। रास्ते में तीन हिरण भटके हुए नजर आए। ऐसा अक्सर होता है। कई बार गाड़ी तेज़ रफ्तार में हो तो बड़ा हादसा हो जाता है।
फिर प्रपात को नज़रअंदाज़ करना भी बेईमानी लग रहा था। सोचेगा इतनी दूर आएँ और दुआ-सलाम भी नहीं की। सो फटाफट फ़ोटो-वीडियो लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
राहुल उपाध्याय | 23 मई 2021 | सिएटल
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