Tuesday, May 11, 2021

12 मई

आज दार्शनिक, जिद्दू कृष्णमूर्ति का जन्मदिन है। वैसे उनकी जन्मतिथि विवादास्पद है। अनुमान है कि शायद 4 और 25 मई के बीच कहीं है। लेकिन पासपोर्ट पर आज की थी सो अब वही मान्य है। 


मैं जब दसवीं की परीक्षा के लिए आवेदन पत्र भर रहा था, तब मैंने बाऊजी-मम्मी से अपनी जन्मतिथि पूछी तो दोनों में बहस होने लगी। एक कहे 26 अक्टूबर, एक कहे 26 नवम्बर। मुझे बहुत दु:ख हुआ कि चलो जन्मदिन नहीं मनाया कभी, सो कोई बात नहीं। पर जन्मतिथि ठीक से याद भी नहीं?


मम्मी को याद था कि वह देवोत्थानी एकादशी की रात थी। सो पंचांग निकाल कर 26 नवम्बर मान लिया गया। अब पता चला कि रात की बारह बज चुके थे सो क़ायदे से 27 नवम्बर होना चाहिए। 


चूँकि शुरू के कुछ वर्षों में मैं जन्मोत्सव से वंचित रहा, इसलिए अब चार दिन अपना जन्मोत्सव मनाता हूँ। देवोत्थानी एकादशी। और उसके अगले दिन। 26 नवम्बर। और 27 नवम्बर। 


सबको चारों दिन बुलाता हूँ। जिसका जब मन हो आए। चारों दिन आए तो ख़ुशी और बढ़ जाती है। 


कृष्णमूर्ति जी का दर्शन सीधा, और सरल था। जटिलता से परे। उनके कई व्याख्यान इंटरनेट पर मिल जाएँगे। वे हिन्दीभाषी नहीं थे। सो अनुवाद से ही काम चलाना पड़ेगा। या अंग्रेज़ी में ही पढ़ लें। 


उनका कहना था कि सत्य स्वयं समझा जाता है। उन्होंने गुरू-शिष्य परम्परा को ख़ारिज किया। उन्होंने यह भी कहा कि सत्य संगठित नहीं किया जा सकता, इसलिए उसे किसी संगठन की कोई आवश्यकता नहीं है। 


उन्होंने शिक्षा पर भी अपना मत व्यक्त किया और कहा कि सही शिक्षा वही है जो अनुभूति जगाए, न कि तथ्य कंठस्थ कराए। एक सुशिक्षित व्यक्ति वही है जो पत्तों की सुगंध, बरसात की बूँदों, और चिड़ियों के कलरव को महसूस कर सकें। 


उन्होंने यह भी कहा कि स्वयं की पहचान रिश्तों से शुरू होती है। रिश्ते लोगों के साथ, विचारों के साथ, वस्तुओं के साथ, प्रकृति के साथ। जब तक स्वयं की पहचान न हो सही विचार और कर्म सम्भव नहीं। 


आमतौर पर हम जिन व्यक्तियों को महान समझते हैं - विवेकानन्द,रामकृष्ण परमहंस, विनोबा भावे, गांधी, बुद्ध आदि - हम उनकी एक अलग ही छवि बना लेते हैं। जैसे कि वे दुनियादारी से परे हैं। सिर्फ संत है और उसके अलावा कुछ नहीं। 


लेकिन यह सच नहीं है। उनके भी झगड़े होते हैं। वे भी नाराज़ होते हैं। सम्पत्ति के मामले में कोर्ट-कचहरी होती है। मनमुटाव होते हैं। 


ऐसा ही कृष्णमूर्ति के साथ हुआ। भाई की अल्पायु में मृत्यु ने उन्हें झकझोड़ दिया। जीवन को नया मोड़ दिया। जिस व्यक्ति ने उनके व्याख्यान प्रकाशित किए, उसी के साथ मुक़दमेबाज़ी हुई। 


राहुल उपाध्याय । 12 मई 2020 । सिएटल




1 comment:

Ajay Upadhyay said...

नमस्ते।
बहुत सुंदर लिखा है आप ने जन्मदिवस को लेकर आज भी एक मत नहीं है लो। मुझे मेरी मम्मी एक दिन पूर्व ही जन्मदिवस कि शुभकामनाएं भेज देती है। पहले स्कूल अध्यापक ही सुनिश्चित करते थे कि आप का जन्मदिन क्या रहेगा। आज के परिवेश में तो काफी सुधार आया। फ़ेसबुक पर हर सुबह 8 बजे जानकारी मिलजाती है कि आज किसका जन्म दिन है।

अजय उपाध्याय
गांधीधाम गुजरात