आज अमेरिका में थैंक्सगिविंग दिवस है यानी धन्यवाद ज्ञापन दिवस। वैसे तो मैं इन कृत्रिम दिवसों को नहीं मानता। जैसे कि पितृ दिवस या मातृ दिवस। और फिर धन्यवाद देना हमारी संस्कृति में काफ़ी औपचारिक लगता है। जैसे कि मामीसाब और मासीजी को क्या धन्यवाद देना। जब भी चरण छुए बहुत आशीर्वाद मिला। मैंने उन्हें दिया ही क्या है और क्या दे सकता हूँ?
फिर भी सूची तैयार की तो अहसास हुआ कि इस एक साल में इस अकेली जान को कितनों ने सहारा दिया है। सम्भाला है। सुख में, दुख में, हर घड़ी मेरा साथ दिया है। बिन कहे मेरी भावनाओं को समझा।
मैं अपने आपको बहुत ही स्वतंत्र और आत्मनिर्भर समझता था। मुझे नहीं लगता है कि मुझे किसी की मदद की ज़रूरत है। लगता है मैं सब अपने आप कर लूँगा।
लेकिन ये सब निःस्वार्थ रूप से समय-समय पर मेरे जीवन में आए और जो भी वे कर सकते थे, उन्होंने किया। चाहे वो मेरा भारत भ्रमण हो या मेरे गीत, चाहे वो मेरी मानसिक स्थिति हो या यूँही कोई बात हो, या अकारण ही।
अक्षय
अंजना
अजय
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राजेश
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रूचिता
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शोभित
संगीता भाभी
संजना
सत्यनारायण जी
सरोज
सागरिका
सीमा
सृजन
हरमीत
हरीश
हितेन्द्र
राहुल उपाध्याय । 24 नवम्बर 2022 । सिएटल
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