Friday, January 28, 2022

भाषा

भाषा का समाज में, संविधान में, सरकार में क्या दर्जा है और इसके क्या दूरगामी परिणाम होते हैं यह जानना हो तो लंदन का आज का ताज़ा समाचार पढ़ लें। 


सांकेतिक भाषा यानी वह भाषा जो ज़बान से नहीं बल्कि हाथों के इशारे से बोली जाती है, उस भाषा को आज ब्रिटिश पार्लियामेंट ने एक बिल पारित कर उसे सरकार की और से मान्यता प्राप्त भाषा घोषित कर दिया गया। 


ब्रिटेन में सांकेतिक भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा 2003 में ही मिल गया था। लेकिन उससे वो लाभ नहीं मिल पा रहे थे जो कि अब मिलेंगे। 


ब्रिटेन के सरकारी अस्पतालों में मान्यता प्राप्त भाषा बोलने वाले मरीज़ों को यह अधिकार प्राप्त है कि वह एक इन्टरप्रेटर या दुभाषिये की सुविधा की माँग कर सकते हैं। और अस्पताल को यह सुविधा प्रदान करनी होती है। अब तक सांकेतिक भाषा बोलने वालों को किसी अपने सगे को या मित्र को साथ ले जाना पड़ता था। इससे मरीज़ को हिचकिचाहट होती थी। अपनी बीमारी के बारे में डॉक्टर से खुल कर बात नहीं कर पाते थे। इसी चक्कर में सही उपचार भी नहीं हो पाता था। 


अब यह समस्या दूर होगी। 


ऐसी और भी कई समस्याएँ होंगी जिनका हमें कोई अंदाज़ा नहीं है। 


लेकिन यह तो है कि यदि कोई जज़्बा हो तो सफलता अवश्य हाथ लगती है। 


यह जो सफलता आज मिली है इसके पीछे जज़्बा था एक ऐसे सांसद का जिनके माँ-बाप जन्म से बधिर हैं। 


राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2022 । सिएटल 


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