Wednesday, January 26, 2022

चॉकलेट

कितनी बार कहूँ कि मैं कितना ख़ुशक़िस्मत हूँ। लेकिन फिर भी कहने से कतराता नहीं और कहते थकता नहीं। वैसे ही जैसे कोई वही भजन रोज़ गाता है, उसी का नाम रोज़ रटता है। 


मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से क़स्बे में गरीब माहौल में पैदा होकर आज अमेरिका में उस कम्पनी में पिछले सत्रह साल से काम कर रहा हूँ जिसकी पिछले तीन महीने की कमाई 50 बिलियन डॉलर थी। यानी चार लाख रूपये प्रति सेकण्ड।


और उसमें आज का दिन अत्यंत रोमांचक रहा। काम तो मज़ेदार है ही। आज हमें एक विशेष कार्यक्रम के दौरान चॉकलेट टेस्ट करना यानी चखना सिखाया गया।


एक बाहरी संस्था जो कि ख़ास तरह के चॉकलेट बनाती है, उसे बुलाया गया और हमें सात विभिन्न प्रकार के चॉकलेट के बारे में बताया गया, उनमें क्या अंतर है समझाया गया और कैसे उन्हें खाना चाहिए सिखाया गया। 


चॉकलेट कैसे बनता है यह भी बताया गया। पहली बार पता चला कि कोई फल पेड़ के तने से भी उग सकता है। 


और यह भी कि कोको फल खीरे से भी बड़ा और मोटा होता है। उसके अंदर सीताफल जैसा पदार्थ होता है। बीज होते हैं। जिन्हें फ़र्मेंट किया जाता है। फिर धूप में सुखाया जाता है।  आग पर भूना जाता है। चूरा बनाया जाता है। फिर पिघलाकर चीनी आदि मिलाकर डॉर्क चॉकलेट के रूप में बाज़ार में बेचा जाता है। 


कितनी ख़ुशी की बात है कि इतना सुखद दिन मेरी ज़िन्दगी में आया कि न सिर्फ़ चॉकलेट खाने को मिली, बल्कि उसके बारे में अनूठी जानकारी भी मिली। 


एक बार फिर मैं अपने आपको ख़ुशक़िस्मत कहने से रोक नहीं पाता हूँ। 


राहुल उपाध्याय । 26 जनवरी 2022 । सिएटल 



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