Tuesday, November 2, 2021

2 नवम्बर 2021

मम्मी का जन्म 2 नवम्बर 1939 को सैलाना में हुआ था। तब तक दासाब (मेरे नाना) का प्राथमिक विद्यालय आरम्भ हो चुका था। उसी विद्यालय में मैं भी चौथी तक पढ़ा। और संयोग से मम्मी भी चौथी तक ही पढ़ पाईं। लड़की होने की वजह से दासाब नहीं चाहते थे कि वे घर से बाहर कहीं पढ़ने जाए। गांधीवादी थे। लेकिन क्यों इस क्षेत्र में इतनी खुली सोच नहीं हो पाई, नहीं जानता। मम्मी की सबसे छोटी बहन, जिनका जन्म 1954 में हुआ, उन्होंने एम-ए और बी-एड भी किया। तब तक शायद ज़माना बदल चुका था, और शायद मामासाब का भी सहयोग रहा होगा। 


मम्मी का जन्मदिन शायद ही कभी मना हो। 2008 में मैंने सेवानिवृत्त होकर पहली बार एक वयस्क के रूप में बाऊजी-मम्मी के साथ दिल्ली में दीवाली मनाई। तब संयोग से मम्मी का जन्मदिन भी आ गया। 


उस दिन की ख़ुशी की बात ही अलग है। 


उसके बाद मैंने उनके साथ 2018, 2019, 2020 के जन्मदिन मनाए। 


मम्मी के पास साड़ियाँ बहुत थी। आज भी अमेरिका में मेरे पास उनकी साड़ियाँ हैं। मैंने उन्हें कभी शॉपिंग करते नहीं देखा। हाँ सब्ज़ी लेने ज़रूर जाती थीं। परचूनी सामान फ़ोन करने से ही घर पर आ जाता था। उसके अलावा कभी जूते या पर्स या कपड़े या श्रृंगार का सामान ख़रीदते नहीं देखा। साड़ियाँ कहाँ से आ गईं? शादी-ब्याह में देने के लिए ख़रीदती थीं। तो वापस मिल भी जाती थीं। 


मैं उनके लिए अमेरिका से जैकेट लेकर जाता और वे किसी को पसन्द आ जाते थे, तो उन्हें दे देती थीं। उनके पास कोई चीज़ टिकती नहीं थी। 


बहुत ही सादा जीवन था। घूमने-फिरने का शौक़ था। पर तीर्थ स्थानों का। शायद ही कोई जगह जहाँ वे ना गईं हो। 


राहुल उपाध्याय । 2 नवम्बर 2021 । सिएटल 




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