Wednesday, March 1, 2023

फ़रवरी 2023

फ़रवरी माह छोटा है। और यह बताते हुए मुझे ख़ुशी हो रही है कि इस छोटे से महीने ने मुझे कितनी बड़ी ख़ुशियाँ दी हैं। 


  1. 'रूमा' कहानी पाठ्यपुस्तक में शामिल की गई

  2. सिंहली में मेरी कविता - अमर प्रेम - अनुवाद की गई और फ़ेसबुक पर पोस्ट की गई ताकि ज़्यादा लोगों तक वह कविता पहुँच सके

  3. आगरा से प्रकाशित 'संस्थान संगम' पत्रिका में मेरी कविता छपी

  4. 'गर्भनाल' में मेरा आलेख छपा


कुछ लोगों को ये चारों उपलब्धियाँ कोई बड़ी बात नहीं लग सकती है। मेरे लिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि ये रचनाएँ मेरे बिना आग्रह के, सम्बंधित व्यक्तियों ने स्वेच्छा से प्रकाशित की हैं। 


*रूमा कहानी*

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मुझे पता चला कि डॉ राजीव सिंह एक पाठ्यपुस्तक पर काम कर रहे हैं। तो मैंने कहा कि मेरी कविता - मौसम - पहले ही एक पाठ्यक्रम-सहायक पुस्तिका में आ चुकी है। आप चाहें तो उसे ले लीजिए। 


उन्होंने वह नहीं ली। फिर मैंने कहा कि मेरी इतवारी पहेलियों में से दो-चार ले लीजिए। 


उन्होंने वे भी नहीं ली। उन्होंने कहा कि आप कुछ ऐसा लिखें जो स्वयं आप ही लिख सकते हैं अपने परिवेश के बारे में जो बच्चों की समझ में भी आ जाए और ज्ञानवर्धक हो। 


मैंने ज़्यादातर कविताएँ ही लिखी हैं। कभी-कभी संस्मरण भी लिखे हैं। 2022 में मैंने तीन कहानियाँ लिखी: 22 जनवरी को - कभी-कभी। 25 जनवरी को - आदर्श। 27 जनवरी को - रूमा। 


रूमा लिखी राजीव जी के सुझाव को ध्यान में रखकर। लेकिन क्या वे इसे अपनी पाठ्यपुस्तक में शामिल करेंगे? मुझे भरोसा नहीं था। जब मेरी सर्वाधिक पसंद की जानेवाली - मौसम - नहीं ली। मेरी इतवारी पहेलियाँ ठुकरा दी गईं। तब मुझे लगने लगा था कि मैं बच्चों के लायक़ रचनाएँ लिखने लायक़ नहीं हूँ। सारी आशाएँ छोड़ दी थीं। ऐसे में जब उनकी स्वीकृति आ गई तो अवश्य ही मेरी ख़ुशियों की कोई सीमा नहीं रही। 


*सिंहली में कविता*

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मैं व्हाट्सएप के एक ऐसे ग्रुप में स्वेच्छा से शामिल हो गया जिससे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के दिग्गज अध्यापक जुड़े हैं। वहाँ बातें होती हैं इतिहास की। इतिहास से जुड़े सृजन की। जिन्हें इतिहास ने उपेक्षित कर दिया उन्हें सामने लाने की। वहाँ कविताओं का कोई स्थान नहीं है। कविताएँ शेयर करना ठीक भी नहीं माना जाता है। मेरी जान-पहचान भी किसी से नहीं है। एडमिन से शुरू में बात की थी। बस इतना ही। वेलेण्टाइन डे पर एक सदस्य ने अपना पॉडकास्ट भेजा प्रेम पर केन्द्रित कि प्रेम भाव जो उत्पन्न होता है उसका विज्ञान क्या है। यह एक साल पुराना पॉडकास्ट था। मुझसे रहा न गया और उस पोस्ट की प्रतिक्रिया में अपनी कविता - अमर प्रेम - शेयर कर दी। सोच रहा था कि एडमिन डीलिट कर देंगे। लेकिन उसी रचना पर अनुषा सल्वतुर जी की नज़र पड़ी और उन्होंने जवाब दिया कि मैंने इसका सिंहली में अनुवाद किया है। इससे पहले मैं अनुषा जी से अपरिचित था और अनुषा जी मुझसे। 


https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid037Z3PWZYCvJhdGizQPKsEAKKfz4xacBRkGQ8mtyZkA8bWzkeBxsfBo92HgpPYZ5jel&id=100000417296327&mibextid=qC1gEa



*संस्थान संगम' में मेरी रचना*

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जब भी मैं देखता हूँ कि उन्हें साहित्य में या कविता में रूचि है तो मैं उन्हें अपनी एक सूची में शामिल कर लेता हूँ ताकि उन्हें मेरी हर नई रचना मिल सके। उस सूची में कुछ आगरा के सदस्य हैं जो संगम पत्रिका हर माह की सात तारीख़ को निकालते हैं। उन्हें मेरी रचना - किताबें - अच्छी लगी और कहा कि इसे हम प्रकाशित कर रहे हैं। मुझे बड़ी ख़ुशी हुई कि कविताएँ तो क़रीब-क़रीब मैं रोज़ ही भेजता हूँ, लेकिन उनमें से एक न सिर्फ़ पढ़ी गई बल्कि प्रकाशन के लायक़ भी समझी गई। 


*गर्भनाल में लेख*

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आत्माराम शर्मा जी से बहुत पुराना परिचय है। शायद पन्द्रह वर्ष पुराना। उन्हीं के आग्रह से मैंने गद्य लिखना प्रारम्भ किया। पहले मैं उन्हें भेजा करता था कि शायद वे ये रचना छाप दें या वो रचना छाप दें। फिर मुझे लगा कि बहुत सारे लिखनेवाले हैं, मैं ही आग्रह करता रहूँगा तो बाक़ी को स्थान नहीं मिल पाएगा। सो मैंने भेजना बंद कर दिया। अब जब कभी उनकी निगाह मेरी पोस्ट पर पड़ जाती है तो वे स्वयं आग्रह करते हैं कि इसे थोड़ा विस्तार दें। इसे गर्भनाल में प्रकाशित करना चाहते हैं। यही इस माह हुआ। 


https://www.garbhanal.com/kharee-kharee



राहुल उपाध्याय । 1 मार्च 2023 । सिएटल 






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