अमेरिका में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा का वृहद् विस्तार होता है। अक्षर ज्ञान एवं गणित के अलावा संगीत, खेल-कूद और व्यायाम से भी जोड़ा जाता है। अन्य तमाम तरह की गतिविधियाँ होती हैं जिनसे वह जिस भी विधा से जुड़ना चाहे जुड़ सकता है। यदि कोई विधा आरम्भ करना चाहे तो वह भी कर सकता है। जैसे कि शतरंज खेलना, सुडोकू करना, वर्ग पहेली हल करना आदि।
स्कूल में ही एक पुस्तकालय होता है। पुस्तकालय का भी अलग से पीरियड होता है। पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कितनी किताबें पढ़ीं, उसके हिसाब से रंग-बिरंगे स्टिकर दिए जाते हैं। किताबें घर भी लाई जा सकती हैं।
संगीत के पीरियड में कई तरह के वाद्य यंत्र उपलब्ध होते हैं। जिसका जो मन चाहे बजा सकता है। कोई यदि वीडियोग्राफ़ी का शौक़ीन हैं तो वह भी कर सकता है।
स्कूल में प्रायः लाउड स्पीकर द्वारा सूचनाएँ प्रसारित की जाती हैं। उन्हें भी कोई छात्र पढ़ सकता है।
कुछ बच्चे स्कूल स्कूल-बस से आते हैं तो कुछ को उनके अभिभावक कार से छोड़ते हैं, तो कुछ पैदल आते हैं।
स्कूल जाते वक्त बच्चों और कार में कोई हादसा न हो जाए इसलिए कुछ माता-पिता स्वयंसेवक बन कर ट्रैफ़िक नियंत्रित करते हैं। उसमें भी बच्चे सहयोग कर सकते हैं। ऐसे बच्चों में बचपन से ही ज़िम्मेदारी और नेतृत्व का बीज पड़ जाता है।
पश्चिम में पियानो बजाने के लिए एक अद्भुत तरीक़ा बनाया गया है। एक अक्षर प्रणाली निकाली गई, जिसे समझ लिया जाए और अभ्यस्त हो जाए तो कौन सी 'की' कब और कितनी देर तक बजानी है आसानी से समझ आ जाती है।
बॉलीवुड फ़िल्मों के गीतों की धुन भी इस अक्षर प्रणाली में उपलब्ध है। मैंने मेरे छोटे बेटे, अबोश, के पियानो अध्यापक को दी तो उन्होंने एकदम से बजा दिया। जबकि उन्होंने गीत कभी सुना नहीं था। हू-ब-हू वैसा।
पाँच साल पहले अबोश वियोला और पियानो दोनों सीख रहा था। शुरूआत स्कूल से हुई।
उसमें थोड़ी रूचि देखी तो निजी तौर पर एक अध्यापक तय किया। जिनके यहाँ वो हफ़्ते में एक बार आधे घंटे के लिए जाता था। पूरे हफ़्ते घर पर अभ्यास भी करता था।
सत्र समाप्त होने पर किसी सार्वजनिक स्थल पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी होता था।
सुनिए।
पियानो- 12 फ़रवरी 2017 - मूनलाईट सोनाटा
वियोला - 4 जून 2016
राहुल उपाध्याय । 4 जून 2021 । सिएटल
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