Friday, June 11, 2021

11 जून 2021

प्राणुषा की माँ, कला, ने कहा था कि पानिक्कम सिर्फ़ रामनवमी को ही बनता है। मैंने कहा था कि मेरे लिए एक दिन और बनाना, उसे हम राहुलदशमी कहेंगे। 


आज राहुलदशमी थी। 


पानिक्कम में सिर्फ़ पानी, गुड़ और काली मिर्च होते हैं। मन को बहुत शांति पहुँचाने वाला शीतल पेय। 


साथ ही लाई थी पर्वअन्नम। यानी चावल की खीर। पर्वअन्नम यानी पर्व का भोजन। कितना सुन्दर नाम है। उतनी ही स्वादिष्ट यह खीर थी। 


कला की सबसे अच्छी बात मुझे यह लगती है कि वह बिना खटखटाए दरवाज़ा खोल अंदर आ जाती है। (मैंने कितने लोगों से कहा कि मेरा घर खुला रहता है, अंदर आ जाया करो। फिर भी सब खटखटा कर आते हैं। हाँ, कुछ लोग मेरी ग़ैर हाज़िरी में दरवाज़ा खोल घर के अंदर सामान रखकर अवश्य गए हैं, जब मैं मम्मी के साथ अस्पताल में था।)


आज भी ऐसा ही हुआ। पाँचों - कला, पानिक्कम, पर्वअन्नम, प्राणुषा और  खिचड़ी - प्रेम से बिना कुछ खटखटाए अंदर आए। मैं ख़ुशी से फूला न समाया। आज मैंने तब तक कुछ नहीं पकाया था। ना ही सलाद काटा था। मैंने प्राणुषा को खिचड़ी परोसी। उसने और मैंने प्रेम से खाई। 


बड़ी देर तक हम दोनों फ़्रीज़ पर ए-बी-सी-डी चिपकाते रहे, उतारते रहे, बेतरतीब से शब्द बनाते रहे, बिगाड़ते रहे। एक अपना संसार रचते रहे, जिनमें जाने-अनजाने शब्द आते रहे, जाते रहे। 


जब वे जाने लगीं तो दरवाज़े पर डी-एच-एल का पैकेज देखा। काकीनाड़ा से था। मेरा ही नाम लिखा था। मैं वहाँ किसी को नहीं जानता। 


अमेरिका में विश्वास न करने के बड़े नुकसान हैं। पैकेज देकर हस्ताक्षर लेने में समय लगता है, इसलिए अब पैकेज दरवाज़े पर ही छोड़ दिए जाते हैं। लूटने वाले लोग वैसे भी कम है। किसी ने उठा भी लिया तो कम्पनी दूसरा सामान भेज देगी। इससे जो कम्पनी को नुक़सान होगा वह उतना नहीं होता जितना उस समय से जो कि हस्ताक्षर लेने में लगता, या दो-तीन चक्कर लगाने में लगता, या फ़ोन कर पूछताछ करने में लगता। 


कम्पनी दूसरा सामान भेज तो देगी पर उसे आने में एक-दो दिन तो लगेंगे। और उस पर ग्राहक को ग्राहक सेवा केंद्र से कहना होगा कि सामान नहीं मिला। इसलिए लोगों ने स्वयं अपने घर के दरवाज़े पर इलेक्ट्रॉनिक आँख लगा रखी है जो कि दरवाज़े पर क्या हो रहा है दुनिया के किसी भी कोने में स्मार्ट फ़ोन पर वीडियो द्वारा दिखा देगी। पिछले 72 घंटे के एक-एक क्षण की छान-बीन की जा सकती है।  


जब ग्राहक स्वयं इतना सचेत हैं तो कम्पनी के नुक़सान का ख़तरा और कम हो जाता है। 


मैं बहुत जल्दी, बहुत छोटी-छोटी चीज़ों पर ख़ुश हो जाता हूँ। 


पैकेज देख कर बहुत ख़ुशी हुई। मेरे लिए किसी ने कुछ भेजा। वह भी सरप्राइज़! सरप्राइज़ देना भी मुझे पसन्द है और सरप्राइज़ पाना भी। 


खोला तो एक सुन्दर सा टी-शर्ट था, थैंक्यू कार्ड के साथ, माइक्रोसॉफ़्ट से! धन्यवाद इसलिए कि इतने असाधारण समय में भी हम सब मुस्तैदी से डटे रहे, काम पर आँच न आने दी। 


यह सरप्राइज़ मेरे लिए और भी हसीन था, क्योंकि मैं तो उस ग्रुप का सदस्य भी नहीं हूँ, जिस ग्रुप ने अपने कर्मचारियों को यह टी-शर्ट भेजा। शायद ग़लती से मैं उस ग्रुप से जुड़ गया।


ऐसी ग़लतियाँ मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। 


राहुल उपाध्याय । 11 जून 2021 । सिएटल 




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