आज का साप्ताहिक सामूहिक प्रात: भ्रमण वहीं से आरम्भ हुआ जहाँ से पिछले सप्ताह हुआ था। लेकिन इस बार हम दक्षिण दिशा की ओर चले। क़रीब दो मील दूर पर जीन कुलॉन बीच पार्क मिला। अति रमणीक स्थल है। पतझड़ के रंगों ने इसे और मनोरम बना दिया। तड़के सुबह धुँध का अपना रोमांच था। फिर धूप निकली तो छटा ही निराली हो गई।
यह पार्क वाशिंगटन झील के पूर्वी छोर पर है। यहाँ से दूसरी ओर स्थित मर्सर द्वीप दिखाई देता है। दक्षिण में बोईंग का कारख़ाना है जहाँ हवाई जहाज़ बनते हैं। एक फ़ोटो में ग़ौर करें तो हवाई जहाज़ दिख जाएगा। झील के किनारे कारख़ाने की कल्पना ही अजीब लगती है। लेकिन यह सच है। यहीं पर रेंटन नगरपालिका विमानतल है। इस विमानतल की यह ख़ासियत है कि यहाँ जितनी उड़ानें जातीं हैं, उतनी आतीं नहीं हैं। क्योंकि बोईंग निर्मित हवाई जहाज़ परीक्षा में पारंगत हो जाने के बाद जब उड़ते हैं तो फिर वापस नहीं आते।
हमारी तरह।
छठ पूजा के उपलक्ष्य में एक सज्जन ठेकुआ ले कर आए। 57 वर्ष की उम्र में पहली बार इसका नाम सुना, और इसे खाया। जो इससे अपरिचित हो, उन्हें यह सन्दर्भ दे दूँ कि मालवा में चूरमा के लड्डू के लिए जो बाटी बनती है, वह स्वाद में और दिखने में ठेकुआ से मिलती-जुलती है। एक फ़ोटो में ठेकुआ का विवरण है।
राहुल उपाध्याय । 22 नवम्बर 2020 । सिएटल
No comments:
Post a Comment