Thursday, August 24, 2023

बाई-दादा

25 अगस्त 1991. 


मेरे दादा-दादी। 


यह तस्वीर मैंने तब ली थी जब पहला कैमरा लिया था, रील वाला। 


बाई-दादा हमेशा शिवगढ़ में रहे। बाऊजी ने पूरी दुनिया देखी। इंग्लैंड से पीएचडी की। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में विश्वविद्यालय में व्याख्याता रहे। थाईलैण्ड में संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। भारत के कई शहरों - जम्मू, शिमला, दिल्ली, मेरठ, कलकत्ता, जबलपुर, बैंगलोर- में काम किया। 


लेकिन बाई-दादा शिवगढ़ ही रहे। उस  घर में कभी कोई फ़र्निचर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं आया। सिवाय चाबी वाली अलार्म घड़ी, लालटेन, फ़्लैशलाइट (टॉर्च) और स्टोव के। मेरे नाना के यहाँ ट्यूब वाला रेडियो था। बाई-दादा के लिए रेडियो की कोई आवश्यकता नहीं थी। जैसे कि हमें कभी सेलफोन (या आज आईफ़ोन) ज़बरदस्ती का आईटम लगता था। 



No comments: