Wednesday, August 16, 2023

बार्बी- समीक्षा

21 जुलाई से चल रही फ़िल्म 'बार्बी' आज भी उतनी ही लोकप्रिय है। थियेटर लगभग हाउस फ़ुल था। मैं कभी बार्बी डॉल के सम्पर्क में नहीं आया। न मेरी कोई बहन है, न बेटी। फिर भी अमेरिका में 37 साल रहने के बाद कुछ तो जानकारी है। यह फिल्म बार्बी से जुड़े सारे मुद्दों को सामने लेकर आती है। बहुत ही संवेदनशील फ़िल्म है। कल्पना से परे। निर्देशन, कहानी, संवाद एवं अभिनय बेहतरीन हैं। अस्सी के दशक के टीवी सीरियल 'चीयर्स' की अभिनेत्री रिया पर्लमेन को एक महत्वपूर्ण भूमिका में देखकर अच्छा लगा। सैटरडे नाइट लाइव की अभिनेत्री कैट को देखकर भी ख़ुशी हुई। 


एक पात्र का यह मोनोलॉग बहुत ही प्रभावशाली है:


कितना मुश्किल है एक औरत होना। आप बहुत सुंदर हैं, और बहुत स्मार्ट हैं, फिर भी यह काफ़ी नहीं है। जैसे, हमें हमेशा असाधारण रहना है, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं कुछ न कुछ ग़लत है।


आपको पतला होना है, लेकिन बहुत पतला नहीं। और आप कभी नहीं कह सकते कि आप पतला होना चाहते हैं। आपको यह कहना होगा कि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं, लेकिन आपको पतला फिर भी होना ही होगा। आपके पास पैसा होना चाहिए, लेकिन आप पैसे नहीं मांग सकते क्योंकि यह बहुत चीप है। आपको बॉस बनना है, लेकिन आप बुरे नहीं बन सकते। आपको नेतृत्व करना है, लेकिन आप दूसरे लोगों के विचारों को कुचल नहीं सकते। आपको माँ बनना अच्छा लगना चाहिए, लेकिन हर समय अपने बच्चों के बारे में बात नहीं करना चाहिए। आपको एक कैरियर बनाना है लेकिन साथ ही हमेशा अन्य लोगों का भी ध्यान रखना है।


आपको पुरुषों के बुरे व्यवहार के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, जो कि पागलपन है, लेकिन यदि आप इसे इंगित करते हैं, तो आप पर शिकायत करने का आरोप लगाया जाता है। आपको पुरुषों के लिए सुंदर रहना होगा, लेकिन इतना सुंदर नहीं कि आप उन्हें बहुत अधिक लुभाएं या कि अन्य महिलाओं को ख़तरा महसूस हो क्योंकि आपको सिस्टरहुड का भी ख़्याल रखना है।


हमेशा ऊपर उठें, अपनी एक जगह बनाए और हमेशा आभारी रहें। लेकिन यह कभी न भूलें कि सिस्टम में धांधली हुई है। इसे स्वीकार करने का एक तरीका खोजें लेकिन साथ ही हमेशा आभारी भी रहें।


आपको कभी बूढ़ा नहीं होना है, कभी असभ्य नहीं होना है, कभी दिखावा नहीं करना है, कभी स्वार्थी नहीं होना है, कभी नीचे नहीं गिरना है, कभी असफल नहीं होना है, कभी डर नहीं दिखाना है, कभी लाइन से बाहर नहीं जाना है। यह बेहद मुश्किल है! यह बहुत विरोधाभासी है और इसके लिए कोई पदक या धन्यवाद भी नहीं मिलता! बल्कि यह पता चलता है कि न केवल आप सब कुछ गलत कर रहे हैं, बल्कि सब कुछ आपकी गलती है।


मैं यह देख-देख कर थक गई हूँ कि मैं स्वयं और बाक़ी सारी औरतें दूसरों को ख़ुश करने के चक्कर में अपनी हालत ख़राब किए जा रही हैं। और यही हाल आज इस गुड़िया का भी हो गया है तो इसे क्या मान लिया जाए?


राहुल उपाध्याय । 16 अगस्त 2023 । सिएटल 


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