Tuesday, January 3, 2023

इतिहास दोहराया जाता है


इतिहास हमेशा दोहराया जाता रहा है। यह हम सब जानते हैं। फिर भी हम आदतवश यह कहना नहीं भूलते हैंकि अब वो ज़माना नहीं रहा जब अमुक इतने ईमानदार थेआदर्शवादी थेनिष्ठावान थेअपनी ग़लतियाँ मानतेथेइत्यादि। 


अनादिकाल से समाज में गुण-अवगुण मौजूद रहे हैं। आदम और हव्वा की कहानी में भी भाई-भाई में झगड़ाहोता है। यहाँ तक कि एक भाई दूसरे भाई का कत्ल भी कर देता है। वाल्मीकि रचित रामायण में भी एकराजघराने में द्वेष है। ईर्ष्या है। जलन है। पीड़ा है। दुख है। देश-निकाला है। घर-निकाला है। 


दिनकर स्वयं आज़ादी के बाद के भारत से खुश नहीं थे। 1950 के आसपास के गीतों में भी इंसान के बुरे हाल पेरोना रोया गया है। 1954 की फिल्म 'नास्तिकके लिए कवि प्रदीप ने लिखा था:


देख तेरे संसार की हालत 

क्या हो गई भगवान

कितना बदल गया इंसान 

सूरज  बदला चांद  बदला 

ना बदला रे आसमान

कितना बदल गया इंसान 


आया समय बड़ा बेढंगा

आज आदमी बना लफ़ंगा

कहीं पे झगड़ा कहीं पे दंगा

नाच रहा नर हो कर नंगा

छल और कपट के हाथों अपना

बेच रहा ईमान


राम के भक्तरहीम के बंदे

रचते आज फ़रेब के फंदे

कितने ये मक्कारये अंधे

देख लिये इनके भी धंधे

इन्हीं की काली करतूतों से

बना ये मुल्क मशान


जो हम आपस में  झगड़ते

बने हुए क्यों खेल बिगड़ते

काहे लाखों घर ये उजड़ते

क्यों ये बच्चे माँ से बिछड़ते

फूट-फूट कर क्यों रोते

प्यारे बापू के प्राण


साहिर ने 1968 में लिखा:


खाली की गारंटी दूंगा

भरे हुए की क्या गारंटी 

शहद में गुड़ के मेल का डर है

घी के अन्दर तेल का डर है 

तम्बाखू में घास का ख़तरा

सेंट में झूठी बास का ख़तरा 

मक्खन में चर्बी की मिलावट

केसर में कागज की खिलावट

मिर्ची में ईंटों की घिसाई

आटे में पत्थर की पिसाई 

व्हिस्की अन्दर टिंचर घुलता

रबड़ी  बीच बलोटिन तुलता 

क्या जाने किस चीज़ में क्या हो

गरम मसाला लीद भरा हो 


हम सबकी याददाश्त भी अजीब है। हम बस वही याद रखते हैं जो हम याद रखना चाहते हैं। 


राहुल उपाध्याय  4 जनवरी 2023  अहमदाबाद 

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