जब मैंने यह गीत पहली बार सुना था तब मैं नवीं कक्षा में कलकत्ता में था। हमारे ऊपर हमारे मकान मालिक रहते थे। वे बंगाली थे। उनकी दो बेटियाँ थीं। उन्हें यह गाना बहुत पसन्द था। रिकार्डिं प्लेयर पर बजता ही रहता था।
हमारे घर में आवाज़ ठीक से नहीं आती थी। मैं सीड़ियों पर बैठ सुना करता था। पेट ही नहीं भरता था।
आज भी सिर्फ़ इस एक गीत को मैं घंटों लूप पर सुन सकता हूँ।
आज इस गीत से जुड़े सारे मुख्य कलाकार दुनिया छोड़ चुके हैं। गीत अमर है।
जीवन मिटाना है दीवानापन
कोई प्यार जीवन से प्यारा नहीं
सारे जहाँ की अमानत है ये
ये जीवन तुम्हारा तुम्हारा नहीं
जीने के लाखों सहारे यहाँ
बस एक ही तो सहारा नहीं
अगर कोई दुनिया से रूठे तो क्या
कोई फूल खिलते ही टूटे तो क्या
सितारे हज़ारों हैं आकाश पर
बस एक ही तो सितारा नहीं
किसी के इरादों के खातिर जियो
किसी की मुरादों के खातिर जियो
है यादों में जीना भी तो ज़िंदगी
जीना तुम्हें क्यों गवारा नहीं
कैसी उदासी ये कैसा है सोग
जीवन में आते हैं जाते हैं लोग
नया कोई साथी खड़ा राहों में
उसे प्यार से क्यों पुकारा नहीं
गीतकार: इंदीवर (1 जनवरी 1924 - 27 फ़रवरी 1997)
संगीतकार: बप्पी लाहिड़ी (27 नवम्बर 1952 - 15 फ़रवरी 2022)
गायक: किशोर कुमार (4 अगस्त 1929 - 13 अक्टूबर 1987)
अभिनेता: शम्मी कपूर (21 अक्टूबर 1931 - 14 अगस्त 2011)
राहुल उपाध्याय । 16 फ़रवरी 2022 । सिएटल
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