Thursday, December 21, 2023

डंकी - एक समीक्षा

डंकी राजकुमार हिरानी द्वारा लिखित एवं निर्मित फिल्म है। इसके निर्माता शाह रूख खान की कम्पनी रेड चिलीज़ है। जब विधु विनोद चोपड़ा निर्माता थे तब की हिरानी की सारी फ़िल्में उत्तम गुणवत्ता वाली थीं। उनमें हर तरह के इमोशन्स थे। हास्य का बाहुल्य था। मुन्ना भाई के कई सीन्स अमर हैं। थ्री इडियट्स बहुत ही अच्छी थीम पर थी। सबसे बड़ी बात उन सबका लेखन उम्दा था, संवाद अच्छे थे। कहानी में दम था। 


डंकी संजू की तरह बहुत ही कमज़ोर प्लॉट पर आधारित है। फ़्लैशबैक के ज़रिए थोड़ा रोचक बनाने का प्रयास किया गया है पर वो ज़्यादा सफल नहीं हुआ। बोमन का किरदार कमज़ोर है। विकी को ज़बरदस्ती लिया गया है। वे मेहमान कलाकार हैं। समझ नहीं आया तापसी का नाम शाह रूख से पहले क्यों आया टायटल्स में। 


फ़िल्म में अंग्रेज़ी के संवाद बहुत ज़्यादा है। अंत में जो ज्ञान दिया गया है वह भी अंग्रेज़ी में। हिन्दी वाले बिचारे आँसू न बहा पाएँगे। 


वीसा न हो तो कितना अच्छा हो यह संदेश दे रही है यह फिल्म। जबकि भारत में कोई नहीं चाहता कि पाकिस्तान वाले या बंदलादेश वाले या अमेरिका वाले यहाँ खुले आम आए-जाए। 


न जाने किस आधार पर ये वीसा रहित प्रणाली को बेहतर बता रहे हैं। 


मौत को हास्य में बदल दिया। जनता भी खूब हँसी। बस वही एक हँसी गूंजी थियेटर में। बाक़ी सारे जोक्स में उतना दम नहीं है कि हँसी छूट पड़े। 


किसी भी निर्देशक से उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे हर फिल्म उम्दा बनाए। सुभाष घई, राज कपूर, स्टीवन स्पीलबर्ग - सब गलती करते हैं। इस बार हिरानी से हो गई। 


राहुल उपाध्याय । 22 दिसम्बर 2023 । अम्स्टर्डम


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