Saturday, December 9, 2023

सेम बहादुर- एक समीक्षा

सेम बहादुर - मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित एवं लिखित नवीनतम फ़िल्म है जिसमें विक्की कौशल ने सेम मानेक्शा का रोल बखूबी निभाया है। फ़िल्म हर क्षेत्र में उम्दा है। अभिनय, छायांकन, लेखन, शोध, सेट की साज-सज्जा सब बहुत ही बढ़िया है। 


कमी है तो मनोरंजन की। रोमांच की। कहानी को एक सूत्र में पिरोने की। यह कमी शायद इसलिए है कि मानेक्शा की कोई कहानी ही नहीं है। सिर्फ़ एक जीवन है जो उन्होंने जीया। जैसे सबके जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं वैसे उनके जीवन में भी आए। फ़र्क़ सिर्फ यह है कि वे नेहरू जी के क़रीब रहे, इंदिरा गांधी के क़रीब रहे, उनसे कईं मुलाक़ातें हुईं, उन्होंने पाकिस्तान को हरा कर बांग्लादेश की स्थापना की, बंदूक़ की नौ गोलियाँ खाने के बाद भी वे बच गए। 


सारी महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। पर ऐसे जैसे एक दिन एक खबर पढ़ी, दूसरे दिन दूसरी, तीसरे दिन तीसरी आदि। यानी खबर और बस खबर। डाकूमेंट्री भी नहीं कि कोई सूत्रधार उन्हें जोड़ता चले, समझाता चले। 


गीत-संगीत छाप नहीं छोड़ते। देशभक्ति की ऊर्जा वाले गीत हैं। पर असरदार नहीं। 


इंदिरा गांधी का किरदार निभाना आसान नहीं। लेकिन फ़ातिमा ने इस चुनौती की स्वीकार किया और बखूबी निभाया। 


राहुल उपाध्याय । 9 दिसम्बर 2023 । सिंगापुर 



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