Thursday, December 14, 2023

शंघाई

शंघाई एयरपोर्ट पर आज भी सारे अधिकारी मास्क पहने रहते हैं। शायद सरकारी आदेश के तहत। 


प्लेन उतरने से पहले भी तमाम उद्घोषणाएँ हुई कि बुख़ार, जुकाम, उल्टी कुछ भी हो रहा हो तो तुरंत सूचित करें। क्वारंटिन किया जाएगा। मन में आया कि कहाँ बुरा फँसा। अच्छा ख़ासा अम्सटर्डम जा रहा था। ये दाल-भात में मूसलचंद कहाँ से टपक गया। 


पन्द्रह घंटे का ले ओवर था। रात नौ से दोपहर बारह बजे तक। पता नहीं था अमेरिकी नागरिक को ट्रांज़िट वीसा मिलेगा या नहीं। रात को बाहर निकल कर करूँगा क्या? निकल गया तो सुबह दस बजे तक वापस भी आना है। सोने के अलावा कुछ ख़ास हो नहीं पाएगा। 


सिंगापुर एयरपोर्ट पर एक और धक्का लगा। बैग सीधे अम्सटर्डम के लिए चैक इन नहीं होगा। मुझे सामान कलेक्ट कर के अपने पास रखना होगा और दूसरे दिन चैक इन करना होगा। एक और मुसीबत। सामान लेकर कहाँ घूमने जा पाऊँगा। 


जैसे-तैसे ग्यारह बजे तक ट्रांज़िट वीसा लेकर फ़्री हुआ। एयरपोर्ट पर ही लॉकर रूम मिल गया। चैन से छः बजे तक सोया। साढ़े छः तक तैयार हो कर सामान चैक इन करवाया। मेट्रो पकड़ी और पहुँच गया शंघाई सेंटर। कुछ घूमा-फिरा, कुछ खाया-पिया। लौटते वक्त मैगलेव से आया। जो काम मेट्रो ने एक घंटे में किया, इसने आठ मिनट में कर दिया। 


वापस एयरपोर्ट में घुसते वक्त सीलिंग पर लगे इन्फ्रा रेड सेंसर ने माथे का तापमान लिया। बुख़ार हुआ तो यात्रा रद्द। अजीब तमाशा है। 


लाईन पर लाईन। इमिग्रेशन की लाईन। सिक्योरिटी की लाईन। 


सिंगापुर इस मामले में बहुत बढ़िया है। कहीं कोई लाईन नहीं। चैक इन पर नहीं। इमिग्रेशन पर नहीं। और सिक्योरिटी तो कमाल की है। हर गेट की अपनी सिक्योरिटी। पता ही नहीं चलता है कि सिक्योरिटी है। 


राहुल उपाध्याय । 15 दिसम्बर 2023 । शंघाई 


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