मानव के जीवन में भाग्य कब पलट जाए कह नहीं सकते। प्रकाश मामासाब टीचर की वेंकेसी समय पर नही भर पाए। हुआ यूँ कि टीचर की भर्ती का फार्म भरकर सोहन मामासा को पोस्ट करने के लिए दिया किंतु वे भूल गए। हमारे नानाजी ने बहुत डांटा। लिखने-पढ़ने को शौक़ था। उन दिनों नई दुनिया में कोई व्यास पत्रकार काम करते थे। वे नई दुनिया छोडकर नई दिल्ली जा रहे थे। कहीं से पता चल गया और नई दुनिया के मालिक से संपर्क किया और नई दुनिया ज्वाईन कर लिया। यह बात सन् 1953 की है।
- ज्योति नारायण त्रिवेदी
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