अमिताभ बच्चन ने फ़ौजी भाईयों के लिए 1974 में यह विशेष जयमाला कार्यक्रम प्रस्तुत किया था।
इसमें शुरुआत में हरिवंश राय बच्चन की आवाज़ में मधुशाला की एक कड़ी है। अंत में मन्ना डे के स्वर में यह कड़ी है:
छोटे-से जीवन में
कितना प्यार करुँ,
पी लूँ हाला,
आने के ही साथ
जगत में
कहलाया 'जानेवाला',
स्वागत के ही साथ
विदा की
होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने
खुलते ही
मेरी जीवन मधुशाला
मैंने जो आज रचना लिखी थी - कहने को जीवन है, पर मरते यहाँ पर है - लगता है जाने-अनजाने में मैं उन्हीं की बात दोहरा रहा था।
कई बार मैं मज़ाक़ में कहता हूँ कि बच्चन जी और मुझमें सिर्फ़ 26-27 का फ़र्क़ है। मैं 26 नवम्बर को जन्मा और वे 27 नवम्बर को।
इस कार्यक्रम में कई और रोचक बातें भी हैं।
(पूरी मधुशाला यहाँ है:
https://kaavyaalaya.org/mdhshla)
राहुल उपाध्याय । 11 अक्टूबर 2022 । सिएटल
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