महिपाल अपने ज़माने के एक महान अभिनेता हैं, जिन्होंने नवरंग और सम्पूर्ण रामायण में मुख्य भूमिकाएँ निभाई है।
विविध भारती अपने संग्रहालय से नायाब साक्षात्कार विभिन्न कार्यक्रम में प्रस्तुत करती रहती है। उनमें से एक कार्यक्रम है - उजाले उनकी यादों के।
इस कार्यक्रम में महिपाल जी का विस्तृत साक्षात्कार कई अंशों में सुनाया गया।
आज प्रसारित कार्यक्रम (2020 में भी प्रसारित हुआ था) में उन्होंने जो कहा, वो अगर आज कहते तो शायद बवाल खड़ा हो जाता।
35:47 पर सुनें:
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हर ऐसे चरित्र को दुख-कष्ट जो भी कहो झेलने ही पड़ते हैं। राम का क्या हुआ? जल समाधि ली ना! आत्महत्या कहो, चाहे जल समाधि कहो।
कृष्ण का क्या हुआ? एक बहेलिये ने मार दिया तीर।
अंत क्या हुआ?
हर ऐसे महान पुरूष का अंत यही हुआ है। फिर बाद में उसकी पूजा होती है।
इन सब लोगों का यही है। हश्र यही होता है।
प्रेमचंद का क्या हुआ? निराला का क्या हुआ?
किसी की मय्यत में आठ आदमी। किसी की मय्यत में दो आदमी। चार आदमी।
कोई थे नहीं। दरिद्र मर गए।
क्या हुआ? लेकिन अब, वाह, वाह!
पीछे से बखान करते हैं।
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राहुल उपाध्याय । 15 अप्रैल 2022 । सिएटल
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