Thursday, September 1, 2022

नारी शिक्षा

सत्या नडैला के परदादा बहुत कम उम्र में गुज़र गए। परदादी को परिवार चलाने के लिए शहर आना पड़ा और वे कामवाली बाई बन गई। 


फिर भी कमाई इतनी नहीं थी कि दोनों बेटे स्कूल जा सकें। सो एक जो बदमाश और शरारती था उसे स्कूल भेजा। दूसरा जो ज़िम्मेदार स्वभाव का था उसे काम पर लगा दिया। वह श्रमिक मज़दूर बन कर काम करने लगा। ज़िन्दगी भर वही करता रहा। 


जो स्कूल गया उसने सरकारी नौकरी की और पुलिस ऑफ़िसर बन गया। उसने अपने बेटे को भी पढ़ाया-लिखाया। वे भारत सरकार के उच्च पद पर आसीन हुए। उन्होंने भी अपने बेटे को शिक्षा की सुविधाएँ प्रदान कीं। और वे ही आज माइक्रोसॉफ़्ट के सी-ई-ओ हैं। 


तात्पर्य यह है कि जिसे शिक्षा मिली वह उत्तरोत्तर प्रगति करता चला गया। 


ध्यान देने की बात है कि यहाँ हम पुरूष की ही बात कर रहे हैं। जबकि यह बात दोनों - महिला और पुरूष - पर बराबर लागू होनी चाहिए। पर ऐसा नहीं है। 


मेरी माँ उतना नहीं पढ़ीं जितना मेरे मामा पढ़ें। 


नब्बे के दशक में पैदा हुए बच्चों में भी माता-पिता यह भेद रखते हैं। ख़ासकर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में। 


कई बार कारण वही होते हैं जो कि सत्या की परदादी के थे। आर्थिक। 


लेकिन ज़्यादातर सामाजिक होते हैं। लड़की इंजीनियरिंग नहीं पढ़ सकती। चूँकि घर से बाहर होस्टल में रहना होगा। जबसे निर्भया काण्ड हुआ है दिल्ली जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। भले घर की लड़कियाँ मुम्बई तो जाती ही नहीं है। हाँ अगर इन महानगरों में कोई परिचित अभिभावक बन सके तब तो सोचा भी जा सकता है। 


और भी कारण हैं। मसलन लड़की ज़्यादा पढ़ जाए तो वर ढूँढना मुश्किल। वर मिल भी गया तो परिवार वाले शायद उसे घर से बाहर काम न करने दें। सब जगह यही मानसिकता कि सारा समाज नारी को नोचने का मौक़ा देख रहा है। सबसे ज़्यादा सुरक्षित वह घर में ही है। 


माना कि कुछ आशिक़ मिज़ाज लोग समाज में अवश्य हैं। हर दफ़्तर में हैं। हर स्कूल में हैं। हर संस्था में हैं। लेकिन सब मर्यादा में रहते हैं। सब टूट ही नहीं पड़ते हैं। आजकल हर जगह व्यावहारिक नीतियाँ बनाई गई हैं ताकी नारी बेफ़िक्र हो कर काम कर सकें और कर रहीं हैं। 


यह जानते हुए भी कि शिक्षा ही विकास का सहायक है माता-पिता क्यों लड़कियों के साथ ऐसा बर्ताव करते हैं समझ नहीं आता। यदि यही व्यवहार चलता रहा तो हममें और तालिबान में क्या फ़र्क़ रह जाएगा?


राहुल उपाध्याय । 1 सितम्बर 2022 । सिएटल 




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