तेरी गलियों में न रखेंगे कदम —> इस गीत को लिखने वाले गीतकार सावन कुमार टाक अब किसी की गली में कदम नहीं रखेंगे।
इतना सशक्त गीत इतने सरल शब्दों में हर त्रस्त आशिक़ की भावना व्यक्त कर गया जिसे संगीत से संवारा हिन्दी फ़िल्मों की पिछले पचास वर्षों की एकमात्र महिला संगीतकार उषा खन्ना ने। यह गीत 1974 का है। तब सारे दिग्गज गीतकारों के बीच यह गीत नयी ताजगी लेकर आया। मैं तब 11 वर्ष का था। लेकिन जब भी कभी सड़क पर चलते हुए किसी के घर से या पान की दुकान से इसे बजता सुनता तो खिल उठता था।
हिन्दी फ़िल्मों के दुख भरे गीतों ने हम सबको बहुत आनंदित किया है।
और फिर, एक और सदाबहार गीत -
शायद मेरी शादी का ख़याल दिल में आया है
इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है
और ये भी:
ज़िन्दगी प्यार का गीत है
इसे हर दिल को गाना पड़ेगा
राहुल उपाध्याय । 25 अगस्त 2022 । सिएटल
No comments:
Post a Comment