Sunday, August 21, 2022

ऐ इश्क़ मुझे बर्बाद न कर

अख़्तर शिरानी की यह 64 पंक्तियों की रचना एक वृहत ग्रंथ सी है। महाभारत और रामचरितमानस महाकाव्य हैं। लेकिन वे सैकड़ों पात्रों और घटनाओं का वर्णन करते हैं। रश्मिरथी भी विशाल है लेकिन कई पात्र हैं, घटनाएँ हैं, संवाद है। कामायनी आदि सब एक ही विचार पर केंद्रित नहीं है। 


इसीलिए मुझ पर इस रचना ने गहरा प्रभाव छोड़ा। ग़नीमत है कि यह रचना रेख्ता पर है इसलिए हर शब्द का अर्थ आसानी से उपलब्ध है। 

https://www.rekhta.org/nazms/ai-ishq-hamen-barbaad-na-kar-akhtar-shirani-nazms?lang=hi


आज नय्यारा नूर का निधन हो गया। उन्होंने यह रचना बहुत ही बढ़िया गाई है। पूरी तो नहीं, कुछ ही पंक्तियाँ। लेकिन उनकी गायकी से इस रचना को पढ़ने का आनन्द बढ़ जाता है। 

https://youtu.be/WCRvHmqoVZk


दुख की रचना है। लेकिन क्या किया जाए, मुकेश के दर्द भरे नग़मों ने हमारा हमेशा मनोरंजन ही किया है। 


राहुल उपाध्याय । 21 अगस्त 2022 । सिएटल 

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