पर्व में उल्लास और बढ़ जाता है जब अनायास ही कोई ख़ुशी मिल जाए और कोई उसमें शामिल हो जाए।
आज फिर हमेशा की तरह बिना दरवाज़ा खटखटाए ख़ुशी मेरे घर में दाखिल हुई। यानी कला और उसकी तीन वर्षीय बेटी प्राणुषा।
इस बार कला के हाथ में थाली थी। थाली में गणेश चतुर्थी का प्रसाद था। उन्द्रैला पायसम, बुरेलु और पुलिहारा।
तीनों उत्कृष्ट और स्वादिष्ट व्यंजन। पुलिहारा बहुत बार खा चुका हूँ। पुलाव से मिलता-जुलता।
बुरेलु और उन्द्रैला पायसम पहली बार खाए।
बुरेलु - मूंगदाल की पकोड़ी जैसी है।
उन्द्रैला पायसम - खीर है।
पर बनाने की विधि अलग है। स्वाद भी अलग।
दोनों की विधि यहाँ दे रहा हूँ।
उन्द्रैला पायसम:
बुरेलु:
चावल के आटे और हल्दी के मिश्रण से कला ने बहुत प्यारे गणेश जी भी बनाए। फल और पकवान के भोग के साथ बहुत ही अनुपम छटा निखर आई है इस पर्व की।
राहुल उपाध्याय । 10 सितम्बर 2021 । सिएटल
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