Friday, October 7, 2016

रामचरितमानस

कहाँ मिलेगी?


रामचरितमानस की प्रतियाँ हर माध्यम में उपलब्ध हैं। आप जैसे चाहें, जब चाहें उसे पढ़ सकते हैं। पुस्तक के रूप में पढ़नी हो तो गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित प्रचलित है। यह कई छोटे बड़े आकार में मिलती है। मूल रचना गोस्वामी तुलसीदास जी की अवधि में है, कहीं-कहीं संस्कृत के पद भी हैं। पूरे रामचरितमानस की लिपि देवनागरी ही है। अर्थात यदि आप हिंदी पढ़ सकते हैं तो तुलसीदास जी की मूल रचना का भी आनन्द ले सकते हैं। 

अवधि भाषा समझ न आए तो उसका अनुवाद/भावार्थ भी गीताप्रेस की पुस्तकों में हैं। हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं में। 

मूल भावार्थ का श्रेय श्रद्धेय श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार को जाता है, जिन्होंने मासिक पत्रिका 'कल्याण' का प्रकाशन एवं सम्पादन किया। सर्वप्रथम उसी पत्रिका के 1938 के वार्षिक मानस अंक में उन्होंने रामचरितमानस के भावार्थ प्रस्तुत किए थे। 

गीताप्रेस की पुस्तकें अन्तर्जाल पर भी सहज उपलब्ध हैं:

    1. Text only



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