ज़िन्दगी में पहली बार कल रात एक ऐसे जन्मदिन समारोह में शामिल हुआ, जहां हर परिवार अपनी कार से आया। जन्मदिन पन्द्रह वर्षीय कन्या का था। क़रीब बीस परिवार के पचास प्राणी थे। हर परिवार कोई न कोई बिज़नेस कर रहा है।
समारोह शहर से दूर बसे रिज़ोर्ट मे था। घर से वहाँ तक जाते-जाते एक घंटा लग गया। सोचा नहीं था कि गोरखपुर जैसे शहर में इतना वक्त लग सकता है।
हर व्यक्ति मांसाहारी था। हर कोई मदिरापान कर रहा था।
इस रिज़ोर्ट में एक स्वीमिंग पूल के इर्द-गिर्द यह समारोह आयोजित किया गया था। मंच पर डीजे ऊँची आवाज़ में संगीत बजा रहा था। युवा पीढ़ी और छोटे बच्चे नाच रहे थे।
कुछ युवा कुछ टेबल पर हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। पाँच कबाना थे जिनमें समविचार वाले धरना जमाए बैठे थे। औरतें अलग। आदमी अलग। जजमान के मायके वाले अलग। ससुराल वाले अलग।
मैं आदमियों के गुट में था। ज़्यादातर बातें बिज़नेस, ज़मीन और सम्पत्ति के बारे में होती रहीं। उन्होंने मुझे यह भी जताया कि अमेरिका सहित सारी दुनिया भारतीय प्रवासियों की वजह से चल रही है।
समारोह में भोजन प्रचुर मात्रा में था। स्टार्टर में ही इतने व्यंजन थे कि पेट भर जाए। केक कटने के बाद रोटी-चावल-दाल-पनीर-कोफ्ता और मांसाहारी व्यंजन भी थे।
राहुल उपाध्याय । 1 सितम्बर 2024 । गोरखपुर
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