'द सिग्नेचर' फ़िल्म सिर्फ़ दो वजह से देखी जा सकती है। एक तो यदि आप महिमा चौधरी के प्रशंसक हैं तो उसे देखकर ख़ुशी होगी। दूसरी वजह से है कि पता चल जाएगा कि अनुपम खेर पर केन्द्रित फ़िल्म कितनी बोझिल हो सकती है।
पूरी फिल्म में कहानी पर नहीं अनुपम खेर के अभिनय पर ज़्यादा ध्यान दिया गया है। और यह फिल्म वहीं कमजोर पड़ जाती है।
अन्नु कपूर को बहुत ही सीधे-सादे रूप में दिखाया गया है। अनुपम खेर के रेसीडेंसी वाले सीन की कोई तुक समझ नहीं आई।
अंत बहुत नाटकीय है और उससे कुछ हासिल नहीं होता। फ़िल्म कभी भी विश्वसनीय नहीं बन पाती है।
रणवीर शौरी को व्यर्थ में ही लिया और उनकी क्षमता को व्यर्थ किया।
बीच-बीच में गाने हैं और कविताएँ हैं। लेकिन वे बाधा ही बनते हैं।
राहुल उपाध्याय । 10 अक्टूबर 2024 । सिएटल
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