मैं कार्तिक आर्यन का प्रशंसक हूँ। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं उनकी हर फिल्म पसंद करूँ। चाहे वो कितनी ही घटिया हो चंदू चैम्पियन ऐसे ही एक फ़िल्म है जिसे पसंद करना मेरे लिए मुश्किल है। हालाँकि ये सत्य घटनाओं पर आधारित है और जिस खिलाड़ी का व्यक्तित्व पर्दे पर दिखाया गया है वे पद्मश्री से सम्मानित भी हैं। लेकिन फ़िल्म में जो होना चाहिए वो इस फ़िल्म में नहीं है। कहानी से दर्शक जुड़ सके, ऐसी कहानी होनी चाहिए। शुरू से अंत तक मन में रहता है कि यह किरदार अपनी ज़िंदगी मैं बहूत कुछ करेगा, बड़ा काम करेगा, देश का नाम रोशन करेगा। कई बाधाएँ आएंगी पर हर बाधा से जूझकर आगे बढ़ जाएगा। और जब यही सब होता है तो कुछ मज़ा नहीं आता है। ट्रेलर से कार्तिक से संभावनाएँ बनी थीं, उम्मीदें जगी थी। लेकिन फ़िल्म से निराशा हाथ लगी। शुरुआत में बहुत ही बचकानी हरकतें दिखाई गई है। कई बार लगा जैसे भाग मिल्खा भाग और फ़ॉरेस्ट गंप की कहानी का मिश्रण देख रहा हूँ।
राहुल उपाध्याय । 19 जून 2024 । सिएटल
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