Sunday, June 30, 2024

शर्मा जी की बेटी- समीक्षा

शर्मा जी की बेटी ताहिरा कश्यप द्वारा लिखित एवं निर्देशित फ़िल्म है। यह एक बहुत अच्छी फिल्म है। थोड़ी अजीब है। लीक से हटकर है। लेकिन बहुत अच्छी है। 


कुछ मंजे हुए कलाकार हैं। जैसे दिव्या दत्ता और मोहित सूरी। कुछ बाल कलाकार भी है। सबका अभिनय उम्दा है। 


स्क्रिप्ट थोड़ी कमज़ोर है। लेकिन संवाद में दम है। 


देख लीजिए। अपने परिवार की या अपने समाज की या अपने जान-पहचान की किसी नारी/बालिका की तस्वीर आपको इसमें नज़र आएगी। 


राहुल उपाध्याय । 29 जून 2024 । सिएटल 


Monday, June 24, 2024

महाराज - समीक्षा

महाराज फिल्म यश राज की फ़िल्म है। आदित्य चोपड़ा निर्माता हैं। पता नहीं क्या सोचकर देखनी शुरू कर दी। संजय भंसाली की शैली से प्रभावित लगी। नाच-गाने-रंग-वेषभूषा सब देवदास की नक़ल लगे। 


हीरो - जूनेद खान - गले से उतरा नहीं। न व नसीरुद्दीन शाह है, न अमोल पालेकर। 


हीरोइन - शालिनी पांडेय- भी कोई ख़ास नहीं। आलिया को नक़ल करने की कोशिश कर रही थी। 


लेकिन दूसरी हीरोइन - शार्वरी -  कमाल की है। इसे कहते हैं अभिनय जो कि मरी फ़िल्म में जान फूंक दे। 


बाद में फ़िल्म भी गति पकड़ती है। बहुत ही अनूठा विषय है और यह जानकर दुख होता है कि ऐसा सच में होता था। किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचे इसलिए बार-बार दोहराया जाता है कि वैष्णव सम्प्रदाय में कोई ख़राबी नहीं है। 


फ़िल्म में जो सबसे ज़रूरी बात कही गई है वह यह कि समाज की कुरीतियों के लिए हम सब ज़िम्मेदार हैं। समाज के ठेकेदार नहीं। 


राहुल उपाध्याय । 24 जून 2024 । सिएटल 


दो और दो प्यार - समीक्षा

जब से हंसल मेहता निर्देशित वेब सीरीज़ स्कैंडल देखी है मैं प्रतीक गांधी का प्रशंसक बन गया हूँ।  प्रायः उनकी अभिनीत सारी वेब सीरीज़ और फ़िल्में देख लेता हूँ। दो और दो प्यार में विद्या बालन भी हैं। वे भी मुझे बहुत पसंद हैं।इस फ़िल्म में दोनों ही पूरी जान लगा देते हैं और इनके अभिनय से फ़िल्म बहुत अच्छी बन पड़ी है एलिना डि क्रूज़ ने भी बहुत अच्छा अभिनय किया है। कहानी कुछ भी नहीं है।  जैसा कि आम तौर पर होता है विवाह के बाद प्रेम में कमी आ जाती है और इस विषय पर कई फ़िल्में बन चुकी है। मनमर्जियां भी कुछ कुछ इस तरह की थी। फ़िल्म में सब कुछ बहुत बढ़िया है अंत को छोड़कर। जाने क्यूँ निर्देशक ने इस अंत को ही चुना। अर्थ और अनुभव फ़िल्म की याद आ गई। 


राहुल उपाध्याय । 24 जून 2024 । सिएटल 


चंदू चैम्पियन - समीक्षा

मैं कार्तिक आर्यन का प्रशंसक हूँ। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं उनकी हर फिल्म पसंद करूँ। चाहे वो कितनी ही घटिया हो चंदू चैम्पियन ऐसे ही एक फ़िल्म है जिसे पसंद करना मेरे लिए मुश्किल है। हालाँकि ये सत्य घटनाओं पर आधारित है और जिस खिलाड़ी का व्यक्तित्व पर्दे पर दिखाया गया है वे पद्मश्री से सम्मानित भी हैं। लेकिन फ़िल्म में जो होना चाहिए वो इस फ़िल्म में नहीं है। कहानी से दर्शक जुड़ सके, ऐसी कहानी होनी चाहिए। शुरू से अंत तक मन में रहता है कि यह किरदार अपनी ज़िंदगी मैं बहूत कुछ करेगा, बड़ा काम करेगा, देश का नाम रोशन करेगा। कई बाधाएँ आएंगी पर हर बाधा से जूझकर आगे बढ़ जाएगा। और जब यही सब होता है तो कुछ मज़ा नहीं आता है। ट्रेलर से कार्तिक से संभावनाएँ बनी थीं, उम्मीदें जगी थी। लेकिन फ़िल्म से निराशा हाथ लगी।  शुरुआत में बहुत ही बचकानी हरकतें दिखाई गई है। कई बार लगा जैसे भाग मिल्खा भाग और फ़ॉरेस्ट गंप की कहानी का मिश्रण देख रहा हूँ। 


राहुल उपाध्याय । 19 जून 2024 । सिएटल 


Tuesday, June 4, 2024

मिस्टर एंड मिसेज़ माही - समीक्षा

मिस्टर एण्ड मिसेज़ माही जान्हवी कपूर और राजकुमार राव की नयी फ़िल्म है। कहानी नयी नहीं है। नयी बनाने की कोशिश की गई है। पूरी स्क्रिप्ट थकी सी है। डायलॉग थके से हैं। किरदार थके से हैं। कलाकार थके से हैं। कोई जान डालने की कोशिश भी नहीं करता है। 


फ़िल्म का असली संदेश है कि हर किसी का दिल यदि माँ जैसा हो जाए तो बस बागों में बहार है। इस विषय तक आने में फ़िल्म में नाटकीय मोड़ लाये जाते हैं। 


पूरी फ़िल्म राम-राम कर के देखी। हर चैप्टर ज़बरदस्ती खींचा गया है। 


ज़रीना वहाब को देखना सुखद अनुभव रहा। 


राहुल उपाध्याय । 4 जून 2024 । सिएटल