Saturday, July 31, 2021

31 जुलाई 1980

जून 1980: मैं गरमी की छुट्टियाँ मामासाब के यहाँ खाचरौद में बीता रहा था। प्रतिमा के जन्मदिन से एक दिन पहले ही निकलना पड़ा कलकत्ता के लिए। 


रतलाम स्टेशन पर पता चला, संजय गांधी नहीं रहे। 


अगले दिन खंडवा स्टेशन पर पता चला वी वी गिरी नहीं रहे। 


कुछ दिन बाद जगन्नाथ पुरी गया तो पता चला मोहम्मद रफ़ी नहीं रहे।


31 जुलाई 1980. 


मैं और मेरे ममेरे भाई, घनश्याम, गर्मी की छुट्टियों मनाने उड़ीसा गए थे। आठ दिन पुरी में रूके, एक मारवाड़ी धर्मशाला में। बहुत आनन्द आया। दोपहर का भोजन मन्दिर का प्रसाद होता था। हांडी में पके चावल और चने की दाल। वाह, क्या स्वाद होता था। और कितना ताज़ा और गर्म। हम समंदर में नहा-धो कर आते थे सो तगड़ी भूख लग जाती थी। 


शाम को धर्मशाला में पूड़ी-सब्ज़ी मिल जाती थी। पास ही दो-चार दुकानें थी जहाँ रिकार्ड प्लेयर पर एल-पी बुलंद आवाज़ में बजते थे। 


मुझे गानों का बहुत शौक़ है। घर पर दिन भर रेडियो कान से लगाए रखता था। यहाँ रेडियो नहीं था तो इन दुकानों से ही पेट भरता था। 


रफ़ी गुज़र गए और दुकानों से बस ओम शांति ओम की ही आवाज़ आती रही। क़र्ज़ का यह गीत उस वक्त का सबसे हिट गीत था। 


राहुल उपाध्याय । 31 जुलाई 2021 । सिएटल 


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