Saturday, July 20, 2024

एक तरफ़ा टिकट

आमतौर पर मैं एकतरफ़ा टिकट बनाता नहीं हूँ। जहां तक हो सके आने का दिन तय कर के ही टिकट ख़रीदता हूँ। कुछ सस्ता भी पड़ जाता है और फिर घर तो आना ही है। काम भी तो करना है। 


2019 में मम्मी को अमेरिका का वीसा लेने के लिए सैलाना से मुम्बई जाना था इंटरव्यू देने। मैंने सोचा 79 वर्ष की आयु में मम्मी यह काम अकेले नहीं कर पाएँगी। कोई साथ होना चाहिए। मामला अमेरिका का है तो मुझसे बेहतर कौन हो सकता है। सो मैं चला गया इंदौर। मम्मी को इंदौर तक बुआजी की बेटी सीमा ने छोड़ दिया था। वहाँ से मुम्बई हम दोनों प्लेन से जा रहे थे। 


अमेरिका वाले कब वीसा दे, कब न दे, कोई भरोसा नहीं। कोई भी कारण हो सकता है। कई बार कारण बताते भी नहीं। लेकिन ये ज़रूर है कि मनाही हमेशा की नहीं है। किसी आशिक़ की तरह बार-बार गुहार लगाते रहो, इंटरव्यू देते रहो। क्या पता कब ना हाँ में बदल जाए। 


इसलिए मैं एकतरफ़ा टिकट लेकर गया। कि यदि वीसा नहीं मिला तो तब तक नहीं लौटूँगा जब तक वीसा नहीं मिल जाता। 


वीसा पहली बार में ही मिल गया। मम्मी का भी एकतरफ़ा टिकट लिया। पता था कि स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मम्मी अब बार-बार अमेरिका-भारत-अमेरिका नहीं कर पाएँगी। 


मम्मी के गुज़र जाने के बाद मैं फ़ुरसतिया हो गया। काम भी कहीं से करने की सुविधा मिल गई कोविड की बनिस्बत। जब सिंगापुर से न्यौता आया कि आप एकतरफ़ा टिकट पर आ जाइये। मुझे अजीब लगा। पर मेरी भी आदत है अजीब काम करने की तो मैं भी एकतरफ़ा टिकट पर निकल पड़ा। 


वहाँ से फिर ऐम्स्टरडम का भी टिकट एकतरफ़ा लिया। और ऐम्स्टरडम से सिएटल का भी। 


इतने एकतरफ़ा टिकट लेने के बाद अब तो चस्का लग गया है। आज फिर एकतरफ़ा टिकट पर ऐम्स्टरडम निकल पड़ा। फ़्लाइट फ्रेंकफर्ट हो कर जा रही है। फ्रेकफर्ट तक कोन्डोर एयरलाइंस है। फ्रेकफर्ट से लुफ़्तांसा। 


आज फँस गया। अब दिक्कत कहाँ की है पता नहीं पर हक़ीक़त बयान कर रहा हूँ। 


शाम पाँच चालीस की फ़्लाइट थी। घर से दो बजे निकलने की योजना बनाई। सुबह सुना था कि कुछ देरी हो सकती है एयरपोर्ट पर। बाद में पता चला अब सब ठीक है। 


बोर्डिंग पास रात में बनवा लिया था। इमेल में आ गया था। चैक इन के लिए कोई सामान नहीं था। एक बैकपैक में लेपटॉप और कपड़े थे। बस। मेरे पास क्लियर सर्विस भी है। बिना लाइन के सिक्योरिटी हो गई। पन्द्रह मिनट में मैं गेट पर था। 3:26 पर। 


समय ही समय था कुछ भी करने के लिए। थोड़ा फ़ोन चलाया। थोड़ी बात की। बोतल में पानी भरा।  टर्मिनल के दो-चार चक्कर मारे।  


बोर्डिंग चालू हुई। मैं लाइन में लगा। तब बताया गया कि इमेल वाले बोर्डिंग पास नहीं चलेंगे। प्रिंट करवाने के लिए अलग लाइन में लगो। पहले बताते तो अच्छा होता। कोई बात नहीं अब हो जाएगा। 


जब मेरा नम्बर आया तो काउंटर पर खड़ी एजेंट कहने लगी वापसी कब की है? मैंने कहा, पता नहीं। बोली वापसी का टिकट चाहिए नहीं तो नहीं जा सकते। मैंने कहा मैं पहले भी ऐसे जा चुका हूँ। कहने लगी हमें नहीं पता। आज तो नहीं जा सकते। 


या तो वापस आने की टिकट दिखाओ या यूरोप से बाहर निकलने की। 


मैंने झक मार के अमुक तारीख़ का अमुक गंतव्य का टिकट तभी फ़ोन पर ख़रीदा और जैसे-तैसे 5:30 पर प्लेन में दाखिल हुआ। 


शायद दिक़्क़त कोन्डोर एयरलाइंस की है। या फिर फ्रेंकफर्ट की। क्योंकि दिसम्बर में ऐम्स्टरडम जाते वक्त कोई दिक्कत नहीं हुई। 


राहुल उपाध्याय । 19 जुलाई 2024 । सिएटल 





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